साहित्य

फादर्स डे स्पेशल: किसको सुनाऊं मैं, बातें, ये सारी, बहुत याद आती है पापा तुम्हारी…

हर फादर्स डे पर याद आता है मनोज दुबे का गीत-

सतवास। अपने गीत और कविताओं से सारे क्षेत्र को गोर्वान्वित करने वाले शिक्षक मनोज दुबे का गीत, “बहुत याद आती हे पापा तुम्हारी….” फादर्स डे के अवसर पर सुना और सुनाया जाता हे।

अपने भाव की संवेदना से सारी महफ़िल को झकझोर कर आंसू आंसू कर देने वाले , इस गीत का चित्रण इतना भाव विभोर कर देने वाला हे की श्रोतागण अपने पिता के दर्द से सीधे जुड़ जाते हे। इस गीत की पंक्तियां। ” वो संघर्ष के दिन, बहुत ही कड़े थे, मगर गम नही था, तुम जो खड़े थे, वो कांदे की चटनी, वो बेसन की रोटी, ये यादें हे लम्बी, उमर कितनी छोटी, सारे दुःखो से थी यारी तुम्हारी बहुत याद आती है पापा तम्हारी .. । इस गीत की हर लाइन प्रेरणादायक है। यहाँ यह उल्लेखनीय है की मनोज दुबे, एक आदर्श शिक्षक के साथ ही, मुंबई में दी फ़िल्म रायटर ऐसोसिऐशन के सदस्य भी है, तथा देश के लगभग सभी मंचों पर काव्य पाठ कर चुके हैं।

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