धर्म-अध्यात्म

जिसका लक्ष्य प्रबल होता है, उसे परमात्मा अवश्य मिलते हैं- पं. अजय शास्त्री

देवास। जिसका लक्ष्य प्रबल होता है, उसे परमात्मा अवश्य मिलते हैं। जैसे कुम्हार मटके को ठोक बजाकर देखता है, पकाने के बाद कि इसमें कोई कमी तो नहीं रह गई हो। ऐसे ही परमात्मा हमें ठोक बजाकर परीक्षा लेता है, कि मेरा भक्त सच्चा है या नहीं। मेरे भक्त में भाव भी है या नहीं। गोविंद उन्हें ही प्राप्त होते हैं जो निष्कपट हो।

यह विचार भोपाल रोड स्थित आंवलिया पिपलिया में श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन व्यासपीठ से पं. अजय शास्त्री सिया वाले ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जब काल आएगा तो परमात्मा के अलावा कोई बचाने नहीं आएगा। जितने भी नाते-रिश्ते हैं सब झूठ है, इसलिए उठते बैठते, जागते-सोते परमात्मा की भक्ति करते रहे। गहरी नींद में भी परमात्मा को पुकार लेना, वह गले से लगा लेगा। उन्होंने कहा कि हम अपने बच्चे, माता-पिता, पत्नी, रिश्तेदार की तो प्रतीक्षा करते हैं, कि कब आएगा आने वाला है, लेकिन परमात्मा की प्रतीक्षा नहीं करते। सांसारिक नाते-रिश्ते के साथ-साथ अगर हम परमात्मा की प्रतीक्षा करें, उससे नाता जोड़ ले तो 84 लाख योनियों के भटकाव से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं। जोड़ना ही है तो परमात्मा से रिश्ता जोड़ लीजिए। परमात्मा से रिश्ता कभी नहीं टूटेगा।

pt ajay shastri

उन्होंने कहा कि जो धर्मात्मा है उसे परमात्मा की शरण मिल ही जाती है। जो धर्म और सत्य के मार्ग पर चलता है, उसे दुख तो आता ही है। अगर दुख भगवान ने दिया है तो सुख भी भगवान ही देगा, इसलिए सुख की प्रतीक्षा करें सुख अवश्य मिलेगा। पं. शास्त्री ने तीसरे दिन वामन अवतार की भावपूर्ण व्याख्या कर श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया।

आयोजन समिति के बाबूलाल शर्मा, संजय शास्त्री, अनिल सर सहित धर्मप्रेमियों ने पूजा-अर्चना कर आरती की। सैकड़ों धर्मप्रेमियों ने कथा श्रवण कर धर्म लाभ लिया।

Advertisement

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button