इंदौर

Mpeb news: इंदौर की स्मार्ट मीटरिंग लर्निंग का जबलपुर, भोपाल में होगा अनुसरण

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– शासकीय कार्यालयों में प्रीपेड व्यवस्था की तैयारी के दिए निर्देश

– प्रमुख सचिव ऊर्जा श्री संजय दुबे ने इंदौर में स्मार्ट मीटर योजना की समीक्षा की

इंदौर। स्मार्ट मीटर योजना के तहत अगले दो वर्षों में सभी शहर स्मार्ट मीटरीकृत करने के लक्ष्य पर समयबद्ध कार्य किया जा रहा है। इंदौर की स्मार्ट मीटर योजना की लर्निंग जबलपुर, भोपाल में भी लागू होगी, ताकि वहां भी इंदौर की तरह योजना के शासन और उपभोक्ताओं को लाभ मिले, शिकायतों की संख्या घटे और संतुष्टि का प्रतिशत बढ़े।

मध्यप्रदेश ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव  संजय दुबे ने यह बात की। वे इंदौर के पोलोग्राउंड स्थित पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के सभागार में शुक्रवार को स्मार्ट मीटर योजना की समीक्षा बैठक में संबोधित कर रहे थे। श्री दुबे ने कहा कि इंदौर में सबसे पहले स्मार्ट मीटर योजना लागू हुई, यहां शासकीय कार्यालयों में प्रीपेड बिल व्यवस्था आगामी तीन माह में लागू करने की तैयारी की जाए। उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मशीन लर्निंग (AIML) की रिपोर्ट से स्मार्ट मीटर योजना के उद्देशों के कंपनी और उपभोक्ता हित में लाभ मिलना चाहिए। इस अवसर पर प्रस्तुत रिपोर्ट में उपभोक्ताओं का लोड, पावर फैक्टर छूट, बिजली आपूर्ति के समय के डाटा, ट्रांसफार्मर से संबंध उपभोक्ताओं के सही लोड की गणना, गुणवत्तापूर्ण बिजली आपूर्ति, उपभोक्ता संतुष्टि में बढ़ोत्तरी और शिकायतों में कमी, वर्तमान खपत के आधार पर बिल का पूर्वानुमान आदि की जानकारी प्रस्तुत की गई।

प्रमुख सचिव संजय दुबे ने स्मार्ट मीटर योजना के मास्टर कंट्रोल सेंटर पहुंचकर कार्यप्रणाली का बारीकी से निरीक्षण किया। मोबाइल एवं वीडियोवाल पर अपडेट जानकारी भी देखी। इस अवसर पर पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के प्रबंध निदेशक अमित तोमर ने बताया कि स्मार्ट मीटर की टीम प्रतिदिन डाटा की समीक्षा करती है, कंपनी एवं उपभोक्ता हित के प्रत्येक कार्य पर ध्यान दिया जा रहा हैं। स्मार्ट मीटर लगने के बाद बिलिंग संबंधी शिकायतों में काफी कमी आई है। श्री तोमर ने वर्तमान में इंदौर शहर, उज्जैन, रतलाम, सेंधवा, झाबुआ में स्मार्ट मीटर स्थापना कार्य तेज होने संबंधित रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस अवसर पर निदेशक सचिन तालेवार, पुनीत दुबे, कार्यपालक निदेशक  गजरा मेहता, मुख्य अभियंता एसएल करवाड़िया आदि प्रमुख रूप से मौजूद थे।

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