खेत-खलियान

कभी 20 रुपए प्रति नग में बिकने वाले नींबू की 20 पैसे में भी पूछ-परख नहीं

– पैदावर इतनी अधिक की जितने पेड़ पर लग रहे, उतने जमीन पर भी टपक रहे
बेहरी। अपने में विटामिन सी की प्रचुर मात्रा रखने वाला नींबू फरवरी-मार्च के दिनों में 20 रुपए प्रति नग तक में बिक गया और अब हालात यह है कि इसकी 20 पैसे में भी कोई पूछ-परख नहीं है। थोक मंडी में इसके भाव इतने अधिक गिर गए कि किसान मंडी में बेचने के लिए ले जाना भी मुनासिब नहीं समझ रहे। जितने नींबू पेड़ पर लगे हैं उतने ही जमीन पर भी गिर रहे हैं। पैदावर की अधिकता से भाव में गिरावट ने नीबू उत्पादक किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ तौर पर नजर आ रही है।
बेहरी क्षेत्र में 50 से अधिक किसान ऐसे हैं, जिनके यहां नींबू के बगीचे हैं। इनके बगीचों में एक-एक दर्जन या उससे कुछ अधिक नींबू के पेड़ हैं। गर्मी के दिनों में गन्ने का रस बेचने वाले और अन्य उपयोग वाले ऊंची कीमत देकर नींबू ले जा रहे थे। इस बार तो नींबू की कीमतें आसमान पर थी। किसानों को अच्छी क्वालिटी के नींबू पर 20-20 रुपए भी मिले। फिलहाल तो इसे कोई पूछ नहीं रहा है। मंडी में भाव नहीं और कोई डिमांड नहीं तो किसान पेड़ से नींबू को तोड़ भी नहीं रहे हैं।
जितने पेड़ पर लगे, उतने नीचे गिर रहे-
यहां के बागवान रामसिंह अजमेरा का कहना है वर्तमान में नींबू की बहुत आवक है, इसे कोई पूछ नहीं रहा। जितने पेड़ पर लगे हैं उतने ही नीचे भी गिर रहे हैं। भाव नहीं होने से मंडी में बेचने के लिए भी नहीं ले जा रहे। वहां इसका भाड़ा भी नहीं निकलता।
कीमत बढ़ने पर भी बेचते नहीं-
कृषक रामचंद्र दांगी ने बताया हमारे यहां 10 पेड़ हैं, जो वर्षभर नींबू देते हैं। कीमत बढ़ने पर भी हमने कभी बाजार में नींबू बेचे नहीं। मिलने वालों को हम फ्री में ही नींबू देते हैं। विशेषकर चैत्र व कुंवार नवरात्र में डंठल वाले नींबू तांत्रिक गतिविधि के लिए खेत से ही ले जाते हैं। इन दिनों सभी पेड़ों पर बहुत अधिक संख्या में नींबू लगे हैं। किसानों का कहना है कि यही हाल आने वाले समय में टमाटर और मिर्ची का होने वाला है। महंगाई तब बढ़ती है, जब किसानों के पास यह उपज नहीं रहती। पाली हाउस में उत्पादन करने वाले महंगाई बढ़ा देते हैं।
विभाग देता है सब्सिडी-
उद्यानिकी विभाग के राकेश सोलंकी का कहना है पिछले 10 वर्ष में बागली डिवीजन में 65 किसानाें को नींबू बगीचे पर सब्सिडी दी है। इसमें अधिकतर किसानों के यहां सिर्फ 10-12 पेड़ ही दिखाई देते हैं। कुछ किसानों के यहां तो नींबू के पेड़ ही नहीं है। विभाग नींबू के पौधे लगाने के लिए सब्सिडी और अन्य सुविधा प्रदान कर रहा है। नर्सरी में पौधे तैयार किए जाते हैं। अभी लगभग 1 लाख नींबू के पौधे तैयार किए गए हैं।


लेखक- हीरालाल गोस्वामी
वरिष्ठ पत्रकार हैं। वर्षों से प्रतिष्ठित समाचार पत्रों के साथ न्यूज वेबसाइट पर समाचारों का लेखन करते आ रहे हैं। समय-समय पर किसानों की समस्याओं को भी प्रमुखता से अपनी खबरों के माध्यम से उठाते हैं। वर्तमान में बागली प्रेस क्लब का दायित्व संभाल रहे हैं।

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