धर्म-अध्यात्म

भगवान से प्रीति लग जाने पर जन्म-मरण के बंधनों से हो जाती है मुक्ति- कृष्णदास महाराज

  • जगत का रंग क्या देखूं तेरा दीदार काफी है- कृष्णदास महाराज
  • मेंढकी चक में कलश यात्रा के साथ भागवत कथा प्रारंभ

देवास। जगत का रंग क्या देखूं, तेरा दीदार काफी है। इस सांसारिक जगत में रहते हुए, जिसने भी उस आनंद के धाम आनंद चित्त स्वरूप भगवान का सच्चे हृदय से स्मरण कर लिया, फिर उसे किसी की जरूरत नहीं पड़ती, इसलिए भगवान से प्रेम कर लो, भगवान से प्रीति लगा लो। जब भगवान में प्रीति लग जाती है तो जीवन जन्म-मरण के बंधनों से मुक्त हो जाता है।

यह विचार ग्राम मेंढकीचक स्थित शिव मंदिर परिसर में श्रीमद भागवत कथा के शुभारंभ पर व्यासपीठ से भागवताचार्य कृष्णदास महाराज वृंदावन वाले ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा, कि हमें संसार में जन्म मिला, तो हमें सब कुछ करना चाहिए परंतु ऐसा नहीं है, कि परिवार को छोड़ दो और भजन करने लग जाओ। ऐसा भी नहीं है, कि भजन छोड़ दो और परिवार में लग जाओ। सब कुछ जरूरी है संसार में। उन्होंने कहा, कि अंधेरे से बचने के लिए ट्यूबलाइट की आवश्यकता पड़ती है, लेकिन भगवान को किसी से प्रकाश उधार लेने की जरूरत नहीं है। परमात्मा स्वयं प्रकाश हैं। भगवान आनंद के स्वरूप हैं, आनंद के धाम हैं।

उन्होंने कहा, कि शरीर को सुख भोजन से मिलता है, लेकिन आत्मा को भगवान का भजन करने से ही सुख मिलता है। भजन आत्मा का सुख और भोजन शरीर का सुख है। शरीर को सुख चाहिए, तो भोजन दीजिए और आत्मा को सुख चाहिए तो भजन कीजिएं। ऐसा होने से वह आत्मा परमात्मा से मिल जाएगी और भोजन शरीर में। मीराबाई ने भजन किया तो पूरे परिवार को भागवतमय कर दिया। किसी की भी नहीं मानी, बस गोविंदमय हो गईं। शिव मंदिर परिसर में कथा महिला मंडल द्वारा ग्रामवासियों के सहयोग से करवाई जा रही है। प्रथम दिन कलश यात्रा निकाली गई। इसमें बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल हुईं।

महिला मंडल की रेणुका सोलंकी, भारती राठौर, भूरीबाई कुमावत, प्रेमबाई पंचोली, सोरमबाई मालवीय, कंचनबाई बागेला ने व्यासपीठ की पूजा-अर्चना कर महाआरती की। कथा प्रतिदिन दोपहर 2 से शाम 5 बजे तक होगी। नंदानगर, राजाराम नगर, जय श्रीनगर सहित आसपास की कॉलोनी के सैकड़ों धर्मप्रेमियों ने कथा श्रवण कर धर्म लाभ लिया।

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