धर्म-अध्यात्म

सचिदानंद भगवान श्रीकृष्ण सत चित्त और आनंद के परमधाम है- पं. अजय शास्त्री

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जहां श्रीमद् भागवत कथा होती है वहां भगवान श्री कृष्ण विराजमान होते हैं

देवास। अलकापुरी में श्रीमद् पितृ भागवत कथा के तीसरे दिन व्यासपीठ से भागवताचार्य पं. अजय शास्त्री सिया वाले ने विचार प्रकट करते हुए कहा कि श्रोता अवधूत और वक्ता अद्भुत हो तो कथा मोक्ष अवश्य करा देती है।

अगर हम बैठे कथा पंडाल में और मन कहीं ओर है, किसी और चीज में लगा हुआ है तो फिर कथा का पुण्य फल नहीं मिलता। कथा में आए हो तो कथा को श्रद्धा भाव के साथ श्रवण करें, तभी कथा सुनने का फल मिलता है। जहां श्रीमद् भागवत कथा होती है वहां भगवान श्री कृष्ण विराजमान होते हैं। आगे कहा कि भगवान श्रीकृष्ण सच्चिदानंद है सत, चित्त और आनंद के परमधाम हैं। सत का मतलब स्वभाव, चित्त का मतलब प्रकृति और रूप का मतलब स्वरूप है। सत और चित्त को भगवान श्री कृष्ण के चरणों में लगाएं बेड़ा पार हो जाएगा। इस दौरान पंडित शास्त्री ने बांके बिहारी रे दूर करो दुख मेरा.. भक्ति गीत की भावपूर्ण प्रस्तुति दी तो श्रद्धालु झूम उठे।

शिव-पार्वती विवाह कथा पंडाल में बड़ी धूमधाम के साथ संपन्न हुआ। महिलाओं ने मंगल गीत गाकर खूब नृत्य किया। ढोल, नगाड़े के साथ आतिशबाजी करते हुए शिव पार्वती को पंडाल में लाया गया। जैसे ही शिव पार्वती कथा पंडाल में आए तो धर्मप्रेमियों ने पुष्पवर्षा कर उनका जोरदार स्वागत किया। आयोजक मंडल के कन्हैयालाल सोनी, महेश कुमार सोनी एवं धर्मप्रेमियों ने व्यासपीठ की पूजा-अर्चना कर महाआरती की। सैकड़ों लोगों ने कथा श्रवण कर धर्म लाभ लिया।

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