साहित्य

आज की बात… पेट्रोल भरवाते समय दोपहिया वाहन चालकों को हेलमेट पहनना क्यों जरूरी है?

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एक बात मुझे समझ नहीं आती है, कि पेट्रोल भरवाते समय दोपहिया वाहन चालकों को हेलमेट पहनना क्यों जरूरी है??

मैं रोजाना सबेरे से शाम तक कई बार मार्केट की ओर जाता हूँ। लेकिन मुझे मुश्किल से 2-4 लोग ही हेल्मेट पहने दिखाई देते हैं। जब हेलमेट संबंधित सामान्य चेकिंग नहीं की जा रही है तो केवल पेट्रोल डलवाते समय ही पहनना क्यों अनिवार्य किया गया है। कहीं इस सबके पीछे हेलमेट बनाने वाली कंपनियों और पेट्रोल पंप वालों से अवैध उगाही ही मुख्य मकसद नहीं है?

मिठाइयों की दुकानों पर भी केवल त्योहारों के एक दो दिन पहले ही क्यों नकली मावा संबंधित छापा डाला जाता है? यह प्रक्रिया सालभर क्यों नहीं चलती? क्या केवल त्योहारों के समय ही मिलावट की जाती है? एक परिचित दुकानदार के अनुसार ये ठकोसले केवल अवैध पैसा उगाही के लिए किया जाता है तथा साथ में अफसरों के घर फ्री में मिठाइयाँ पहुंच सकें?

इस संबंध में मुझे एक पुराना वाक्या याद आ रहा है। वर्ष 1981-82 की बात है। मेरी नौकरी की शुरुआत थी और पोस्टिंग जबलपुर थी। वहीं मेरा एक अभिन्न मित्र सेल्सटेक्स अधिकारी के रूप पदस्थ हुआ था। उसने मुझे एक घटना सुनाई कि किस तरह वे लोग होटलों पर उगाही करते हैं।

घटना के अनुसार एक बार मित्र के वरिष्ठ उसे अपने साथ चेकिंग में ले गए।

एक होटल पहुंचकर उन्होंने कुछ स्नेक्स का आर्डर किया। एक छोटा सा पी खाकर वरिष्ठ ने प्लेट हटा दी और वेटर से कहा कि कितना खराब बना है यह। इसे ले जाओ और समोसा लाओ।

समोसा टेस्ट कर वरिष्ठ ने उसे भी हटा दिया कि अच्छा नहीं है। इस तरह 3-4 आइटम उन्होंने वापस किए।

अब होटल मालिक से नहीं रहा गया तो वह स्वयं आया कि आप बेकार में लांक्षित कर रहे हैं। जबकि हमारी होटल की सामग्री सभी अच्छी रहती हैं।

होटल मालिक को भी वरिष्ठ ने डांटा और कहा कि झूठ बोलते हो, आपके यहां का समोसा या चाय तक अच्छी नहीं है।

वरिष्ठ की इस बात से होटल मालिक का पारा चढ़ गया। वह गुस्से में बोला कि आप लोग झूठे आरोप हमारे यहां बनाए आयटमों पर लगा रहे हैं। मेरी होटल बहुत चलती है। रोजाना की एक हजार रुपए से अधिक की बिक्री होती है।

बस वरिष्ठ यही उगलवाना चाहता था। ज्यों ही उसने रोज एक हजार से अधिक कमाई का कहा, तुरंत वरिष्ठ ने अपना आई कार्ड दिखाया और कम टेक्स भुगतान बनाने का प्रकरण बनाने का कहा।

अब होटल वाला घबराया और उसने एक भारी रकम देकर केस खत्म कराया।

यह हो जाने के बाद वरिष्ठ ने मित्र से कहा कि देखो अपने अगर यह नाटक नहीं करते तो यह होटल वाला हमें 50-100 रुपए देकर टरका देता।

मित्र जिसका कुछ वर्ष उपरांत रायपुर पोस्टिंग के दौरान देहांत हो गया था, के अनुसार इस तरह पूरे सिस्टम में ही भ्रष्टाचार व्याप्त हो गया है।

मित्र का प्रकरण, पेट्रोल भराते समय हेलमेट की अनिवार्यता या केवल त्योहारों के समय में मिठाई दुकानों का निरीक्षण यही प्रमाणित करता है कि हमारे देश में भ्रष्टाचार घुन की तरह मिल चुका है। अब तो लोग बिना डरे ही रिश्वत की मांग करते हैं, अपना एकाउंट नंबर तक बिना डरे देते हैं कि इसमें पैसे डाल दो।

क्या हमारे इस महान देश से कभी भ्रष्टाचार समाप्त हो पाएगा? मुझे तो नहीं लगता अपितु दिन प्रति दिन भ्रष्टाचार और तेजी से फैलता दिखाई देता है…!
17 अगस्त 2025

जय हिंद
अशोक बरोनिया, वरिष्ठ लेखक एवं चिंतक

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