इंदौर में पीओपी से मूर्तियों के निर्माण और विक्रय करने वालों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई

प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) मूर्तियों के निर्माण और विक्रय के प्रतिबंध का सख्ती से पालन कराना प्रारंभ
इंदौर। जिले में कलेक्टर आशीष सिंह द्वारा पर्यावरण संरक्षण को देखते हुए प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) से बनने वाली मूर्तियों के विक्रय और निर्माण पर प्रतिबंध लगाया गया है।
इस प्रतिबंध का सख्ती से पालन कराना प्रारंभ कर दिया गया है। प्रतिबंध के बावजूद इनके निर्माण व बिक्री की सूचना पर जिला प्रशासन के अमले ने सख्त कार्रवाई की है। मल्हारगंज एसडीएम सुश्री निधि वर्मा के नेतृत्व में बाणगंगा क्षेत्र में कार्रवाई करते हुए दो मूर्ति निर्माताओं से 130 से अधिक बड़ी गणेश प्रतिमाएं और करीब 700 से अधिक छोटी प्रतिमाएं जब्त की गईं।
एसडीएम सुश्री वर्मा ने बताया कि यह कार्रवाई मुख्य रूप से बाणगंगा क्षेत्र में मूर्ति निर्माता विनोद पिता गुलाबचंद्र के यहां की गई। इसी तरह की कार्रवाई खेमकरण चितले और मनीष प्रजापति के विरूद्ध भी की गई है। इनके गोडाउन सील कर दिये गये हैं। मूर्ति निर्माता विनोद से लगभग 130 बड़ी और 700 छोटी मूर्तियां गोडाउन में सील की गई। शेष मूर्तियां फैक्ट्री में निर्माण कर्ताओं में इस निर्देश के साथ दी गईं कि वे इनका विक्रय या किसी को उपयोग के लिये नहीं देंगे।
इसी तरह की कार्रवाई डिस्ट्रीब्यूटर खेमकरण चितले और मूर्ति निर्माता मनीष प्रजापति के यहां भी की गई। मनीष प्रजापति के यहां अधिकांश मूर्तियां मिट्टी की पायी गई। केवल लगभग 10 से 15 मूर्तियां पीओपी की पायी गई। इन्हें विक्रय या किसी को उपयोग के लिये नहीं देने के निर्देश देते हुए कब्जे में दिया गया। इसी के साथ डिस्ट्रीब्यूटर खेमकरण चितले के गोडाउन में लगभग 50 मूर्तियां पीओपी की पायी गई। यह गोडाउन भी सील किया गया।
कलेक्टर श्री सिंह ने कहा कि पीओपी मूर्तियां पानी में आसानी से नहीं घुलतीं और उनमें प्रयुक्त रसायन हानिकारक होते हैं। इस कारण नदियों, तालाबों और अन्य जलस्रोतों में प्रदूषण बढ़ता है। उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी है कि जिले में पीओपी मूर्तियों का निर्माण, भंडारण और विक्रय पूरी तरह प्रतिबंधित है और उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी। मिट्टी की पारंपरिक प्रतिमाएं पर्यावरण के लिए सुरक्षित हैं। प्रशासन ने आम नागरिकों से अपील की है कि आगामी गणेशोत्सव में केवल पर्यावरण अनुकूल मूर्तियों का ही उपयोग करें।



