धर्म-अध्यात्म

गायत्री शक्तिपीठ देवास में हुआ एक माह का संगीत शिविर

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– बच्चों ने सीखा संगीत का सुर और संस्कार

देवास। संस्कार, संस्कृति और सुरों का संगम बना गायत्री शक्तिपीठ देवास, जहां मई माहभर चले संगीत शिविर में बच्चों ने ढपली, तबला, हारमोनियम और गायन की बारीकियां सीखीं। इस प्रशिक्षण शिविर ने न सिर्फ बच्चों की प्रतिभा को निखारा, बल्कि उन्हें भारतीय संगीत और संस्कृति से भी गहराई से जोड़ा। प्रतिभागियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और शिविर समापन पर प्रमाणपत्र व उपहार पाकर गौरवान्वित हुए।

गायत्री परिवार के मीडिया प्रभारी विक्रमसिंह चौधरी ने बताया, कि गायत्री शक्तिपीठ पर एक महीने के संगीत शिविर का आयोजन किया गया था, जिसका उद्देश्य बच्चों की प्रतिभा को उजागर करना और राष्ट्र निर्माण में लगाना था।

गायत्री शक्तिपीठ

संगीत शिविर के प्रभारी केशव पटेल एवं प्रशिक्षक अन्नू पटेल व दुर्गा पटेल ने बताया, कि गायत्री शक्तिपीठ पर प्रतिदिन शाम को बच्चों को संगीत सिखाया जाता है और यह क्रम अनवरत रूप से 30 वर्षों से चल रहा है। इसी कड़ी में एक महीने संगीत शिविर का आयोजन किया गया था, जिसका उद्देश्य बच्चों को संगठित करके अपनी संस्कृति और संगीत से जोड़ना है जो कि बेहद सफल आयोजन रहा है। कई बच्चे ग्रामीण क्षेत्र से आए और कुछ बच्चे शहरी क्षेत्र के भी थे।

प्रतिभाशाली बच्चों को श्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए प्रमाण पत्र भेंट कर व उपहार देकर सम्मानित किया गया, जिसमें बुलबुल सोलंकी, बलराम सोलंकी, अंश लोधी, प्रिंस परिहार, भावेश शर्मा, लक्ष्मी सोलंकी आदि शामिल थे।

प्रशिक्षण लेने वाले बच्चे में कार्तिक लोधी, नम्रता गोस्वामी, प्रीति कराड़िया, दीक्षा कराड़िया सहित अनेकों बच्चे शामिल थे। प्रशिक्षक मण्डल में प्रणव निहाले, प्रज्ञा निहाले, यशस्वी दुबे, आयुषी परिहार, नंदिनी चौहान, प्रियांशी परिहार शामिल थे, जिन्होंने बच्चों को गायन, ढपली और तबला सिखाया।

युवा प्रकोष्ठ के जिला समन्वयक प्रमोद निहाले ने अधिक जानकारी देते हुए कहा कि गायत्री शक्तिपीठ देवास जन जागरण का केंद्र है, यहां पर संचालित सभी गतिविधियां लोक कल्याण के निमित्त है। यहां पर प्रतिदिन चल रही बाल संस्कार शाला का उद्देश्य भी बच्चों को धर्म, संस्कृति और समाज के प्रति व अपने नैतिक मूल्यों के पालन के प्रति जागरूक करना है।

अखिल विश्व गायत्री परिवार देवास शहर व ग्रामीण क्षेत्र के सभी पालकों से निवेदन करता है कि अपने बच्चों को नियमित गायत्री शक्तिपीठ पर भेजें और अपनी संस्कृति, सभ्यता और संस्कार से जोड़े। कार्यक्रम का संचालन प्रशिक्षक अन्नू पटेल ने किया एवं आभार शिविर प्रभारी केशव पटेल ने व्यक्त किया।

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