अच्छे कर्म मृत्यु को आसान तो बुरे कर्म नर्क के समान बना देते हैं- ब्रह्माकुमारी प्रेमलता दीदी

देवास। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, कालानी बाग सेंटर द्वारा आयोजित धार्मिक कार्यक्रम में मुख्य जिला संचालिका ब्रह्माकुमारी प्रेमलता दीदी ने अपने प्रवचन में कहा कि अगर मनुष्य मृत्यु को ठीक तरह से जान ले, तो फिर कभी दुखी नहीं हो सकता। मृत्यु एक परिवर्तन है, समाप्ति नहीं। आत्मा इस शरीर का त्याग कर नए शरीर को प्राप्त करती है, और यह प्रक्रिया जीवन में नवीनता का संचार करती है।
दीदी ने कहा कि मृत्यु का मतलब पूर्णविराम नहीं, बल्कि अल्पविराम है। एक छोटा विश्राम, जिसके बाद आत्मा की जीवन यात्रा पुनः शुरू होती है। मृत्यु दुख ही नहीं, सुख भी प्रदान करती है। अच्छे कर्म जहां मृत्यु को सहज बना देते हैं, वहीं बुरे कर्म मृत्यु को नर्क के समान बना देते हैं। मृत्यु के समय मनुष्य को अपने संपूर्ण जीवन के कर्म याद आते हैं, और वही उसके अगले जन्म की दिशा निर्धारित करते हैं।
यह दिव्य प्रवचन त्रिलोक नगर, इटावा में आयोजित विशेष पूजा-अर्चना कार्यक्रम के दौरान हुआ, जिसमें संस्था से जुड़े अनेक भाई-बहनों ने परमात्मा शिव की आराधना की। दीदी के सानिध्य में यह आध्यात्मिक वातावरण और भी पावन बन गया।
इस अवसर पर दीदी ने माताओं को आशीर्वाद स्वरूप भेंट प्रदान कर उनका सम्मान किया। वहीं, उपस्थित भाई-बहनों ने भी प्रेमलता दीदी का श्रद्धा एवं आदर के साथ सम्मान किया।
कार्यक्रम में ममता राजेन्द्र ठाकुर, कमला सुभाष ठाकरे, सुनीता पांडुरंग माथनकर, मीना देशमुख, उर्मिला व्यास, रीना सिंह, कंचना विश्वकर्मा, अपुलश्री दीदी, ज्योति दीदी, कोमल बहन, हेमा वर्मा बहन सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे।



