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    खट्टी-मिठी इमली से लदे हैं पेड़ स्थानीय मंडियों में उचित भाव नहीं

    ByNews Desk

    Nov 29, 2022
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    -परिवहन का खर्च भी नहीं निकल रहा किसानों को
    बेहरी (हीरालाल गोस्वामी)। खट्टी-मिठी इमली कभी भी किसानों के लिए अतिरिक्त अामदनी का जरिया नहीं रही है। यूं तो किसानों के खेत की पगडंडी पर इमली के सैकड़ों पेड़ हैं और इन दिनों सभी पेड़ इमली से लदे हुए हैं, लेकिन बाजार में इमली के भाव बहुत कम होने से किसान इमली बेचकर कमाई के बारे में सोच भी नहीं सकते। इमली बेचने के लिए स्थानीय स्तर पर बाजार का भी अभाव है। अगर मंडी में बेचने के लिए किसान जाए तो वहां उचित भाव नहीं होने से आनेजाने का भाड़ा भी नहीं निकले।
    वर्ष में एक बार लगने वाली इमली के उचित दाम नहीं होने से किसान इसे बाजार में बेचने के बजाए आसपास के लोगों में बांटना ही उचित समझ रहे हैं। इमली से पेड़ लदे हुए हैं, लेकिन मंडी में इमली के भाव 10-15 रुपये किलो तक ही मिल रहे हैं। ऐसे में मंडी तक ले जाने में भी नुकसानी उठानी पड़ती है। किसानों से कम भाव में इमली खरीदकर बिचौलिये इसे अधिक भाव में बेचते हैं। यहां की इमली की मांग दक्षिण भारत में अधिक है। वन विभाग एवं उद्यानिकी विभाग द्वारा वर्ष 2000 से 2022 तक इमली के हजारों पौधों का वितरण किसानों को किया। ये पौधे समय के साथ पेड़ बन चुके हैं और इनमें उत्पादन हो रहा है। हालांकि उचित भाव नहीं मिलने से किसानों में इमली विक्रय को लेकर उत्साह नहीं है। किसान रामप्रसाद दांगी ने बताया कि हमारे खेत पर इमली के कई पेड़ हैं। मंडी में इमली के उचित भाव नहीं मिलते हैं, इसलिए हम बेचने के लिए नहीं ले जाते। पकने पर इमली पेड़ से गिर जाती है तो आसपास के लोग ले जाते हैं। गर्मी के दिनों में इमली के पेड़ छाया भी देते हैं।
    वन विभाग के डीएफओ पीएन मिश्रा ने बताया कि पिछले 20 वर्षों में इमली के एक लाख से अधिक पौधे जंगल एवं गांव से लगी वन भूमि पर लगाए गए हैं। इनमें फल आ रहे हैं। जंगल में होने के कारण इन्हें प्राकृतिक आवास में फलने-फूलने दिया जा रहा है। फलों को तोड़ा भी नहीं जाता। हालांकि इमली के भाव काफी कम होने से किसानों को लाभ नहीं मिल पाता है। इमली वन उपज में शामिल नहीं है, इसलिए इसका मूल्य निर्धारित नहीं है।
    उद्यानिकी विभाग में बागली क्षेत्र के प्रभारी राकेश सोलंकी ने बताया कि आरंभ में इमली की खरीदी 15 रुपये किलो तक व्यापारियों द्वारा खरीदी गई थी, लेकिन अब किसान सीधे व्यापारी से संपर्क कर लेते हैं और बेच देते हैं। जिन किसानों के यहां इमली के अधिक पेड़ हैं, वे व्यापारियों को इमली बेचकर कमाई कर सकते हैं।

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