धर्म-अध्यात्म

चैत्र नवरात्रि 2025: जानें पूजा विधि, देवी के नौ रूपों का महत्व और शुभ फल पाने के उपाय!

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चैत्र नवरात्रि का दिव्य महत्व: क्यों होती है यह विशेष?

चैत्र नवरात्रि सनातन धर्म में विशेष महत्व रखती है। यह पर्व शक्ति की उपासना के लिए मनाया जाता है और नवदुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस नवरात्रि का पहला दिन हिंदू नववर्ष के रूप में भी मनाया जाता है, जिससे इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व और अधिक बढ़ जाता है।

चैत्र नवरात्रि एक दिव्य अवसर है जिसमें भक्त श्रद्धा और भक्ति के साथ मां दुर्गा की पूजा करते हैं। यह पर्व सकारात्मक ऊर्जा, आध्यात्मिक जागरूकता और सुख-समृद्धि का प्रतीक है। नवरात्रि में विधिपूर्वक पूजन और उपासना करने से जीवन में शांति, शक्ति और सफलता प्राप्त होती है।

चैत्र नवरात्रि की संपूर्ण पूजन विधि: करें मां दुर्गा को प्रसन्न-
कलश स्थापना: नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त में गंगाजल से शुद्ध स्थान पर मिट्टी या तांबे के कलश की स्थापना करें। उसमें जल, सुपारी, सिक्का और अक्षत डालें तथा उसके ऊपर नारियल रखें।
मां दुर्गा का आह्वान: मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें और उन्हें लाल चुनरी अर्पित करें।
अखंड ज्योत: नौ दिनों तक अखंड दीपक जलाने की परंपरा है।
दुर्गा सप्तशती पाठ: श्रद्धालु दुर्गा सप्तशती, देवी महात्म्य या रामायण का पाठ करें।
भोग और प्रसाद: मां दुर्गा को फल, पंचामृत, मिश्री और हलवा-पूरी का भोग लगाएं।
कन्या पूजन: अष्टमी या नवमी के दिन कन्याओं को भोजन कराकर उनका पूजन करें।
व्रत और हवन: भक्त नवरात्रि के दौरान उपवास रखते हैं और नवमी तिथि को हवन कर नवरात्रि का समापन करते हैं।

नवरात्रि में देवी के नौ स्वरूपों की आराधना और उनका चमत्कारी प्रभाव-

1. शैलपुत्री – पहले दिन माता के इस रूप की पूजा होती है।
2. ब्रह्मचारिणी – दूसरे दिन साधना और तपस्या का प्रतीक रूप पूजित होता है।
3. चंद्रघंटा – तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की उपासना से सभी बाधाएं दूर होती हैं।
4. कूष्मांडा – चौथे दिन माता की कृपा से आयु, यश और बल की प्राप्ति होती है।
5. स्कंदमाता – पांचवे दिन श्रद्धालु को ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
6. कात्यायनी – छठे दिन मां दुर्गा के इस रूप की पूजा की जाती है।
7. कालरात्रि – सातवें दिन यह रूप नकारात्मक शक्तियों का नाश करता है।
8. महागौरी – आठवें दिन मां महागौरी की उपासना की जाती है।
9. सिद्धिदात्री – नवमी के दिन यह देवी भक्तों को सिद्धियों का आशीर्वाद देती हैं।

नवरात्रि में क्या करें और क्या न करें?
जाने-माने ज्योतिषाचार्य नितिन मूंदड़ा के अनुसार, “चैत्र नवरात्रि में शक्ति साधना और आत्मशुद्धि का विशेष महत्व है। इन नौ दिनों में हमें कुछ खास नियमों का पालन करना चाहिए, जिससे देवी मां की कृपा प्राप्त हो सके।”

क्या करें:

✔ सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।

✔ घर के पूजा स्थल को विशेष रूप से साफ करें और मां दुर्गा की प्रतिमा के समक्ष दीपक जलाएं।

✔ दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और मां को फल, पंचामृत और नैवेद्य अर्पित करें।

✔ अन्न, वस्त्र और धन का दान करें, विशेष रूप से कन्याओं को भोजन कराएं।

✔ संयमित आचरण रखें और मन, वचन तथा कर्म से पवित्र रहें।

क्या न करें:

❌ नवरात्रि के दौरान क्रोध, अहंकार और नकारात्मक विचारों से दूर रहें।

❌ लहसुन-प्याज और मांसाहार का सेवन न करें।

❌ शराब और नशीले पदार्थों का सेवन न करें।

❌ किसी का अपमान न करें और झूठ न बोलें।

❌ अनावश्यक वाद-विवाद और कलह से बचें।

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शनि एवं राहु की शांति के उपाय:
ज्योतिषाचार्य नितिन मूंदडा के अनुसार मेष, कुंभ, मीन राशि को शनि की साढ़े साती का प्रभाव चल रहा है। सिंह राशि पर शनि की ढईया का प्रभाव चल रहा है। शनि व राहु की शांति के लिए नवरात्रि में माता काली का आराधना फलदायी रहेगी। क्लीं बीज मंत्र का जाप सुबह-शाम तेल का दीप प्रज्वलित कर करें। मां को मिष्ठान का भोग लगाए। नियमित नौ दिनों तक आराधना करने से राहु-शनि से संबंधित बाधा खत्म होगी व कार्यों में सफलता मिलेगी।
(नवरात्रि में जप, पूजन व अनुष्ठान के लिए एस्ट्रो गुरु आचार्य नितिन मूंदड़ा से संपर्क कर सकते हैं- 99933 56904)

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