बागली (हीरालाल गोस्वामी)। महिला एवं बाल विकास परियोजना बागली के तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने के लिए उत्कृष्ट विद्यालय बागली में तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया।
इस शिविर का उद्घाटन तहसीलदार व परियोजना अधिकारी पीहू कुरील एवं प्रभारी परियोजना अधिकारी अनीता दुबे ने किया। प्रशिक्षण में मास्टर ट्रेनर ललिता जाट, अनामिका राजपूत, गोपाल दांगी, सीमा कोचनवार, जुबेदा बानो, यशोदा मालवीय, कौशल्या मालवीय, सुचित्रा तंवर, चंदा सरसिया सहित बागली आदिवासी परियोजना से जुड़ी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता उपस्थित रहीं।
प्रारंभिक शिक्षा और बौद्धिक पोषण पर दिया जोर-
इस शिविर का उद्देश्य शून्य से तीन वर्ष तक के बच्चों का प्रारंभिक विकास और तीन से छह वर्ष तक के बच्चों का संपूर्ण बौद्धिक विकास सुनिश्चित करना है। इस दौरान यह बताया गया कि बाल्यावस्था ही बच्चों के मानसिक विकास की नींव रखती है। यदि बचपन में बच्चों का बौद्धिक विकास सही तरीके से किया जाए, तो वे आगे चलकर बेहतर सोचने-समझने में सक्षम बनते हैं।
परियोजना अधिकारी पीहू कुरील ने अपने संबोधन में कहा, कि बच्चों को केवल शारीरिक पोषण ही नहीं, बल्कि बौद्धिक पोषण भी आवश्यक रूप से मिलना चाहिए। इसके लिए आंगनवाड़ी केंद्र सबसे उपयुक्त माध्यम हैं, जहां प्रशिक्षित कार्यकर्ता बच्चों को समुचित पोषण एवं ज्ञान प्रदान कर सकती हैं।
गीत-संगीत और खेलों से शिक्षा-
प्रशिक्षण में इस बात पर विशेष ध्यान दिया गया कि बच्चों को खेल-खेल में सीखने की प्रक्रिया अपनाई जाए। इस दौरान गीत, कविता और भजन के माध्यम से आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को यह सिखाया गया कि वे किस प्रकार बच्चों को खेल-खेल में शिक्षा दे सकती हैं। साथ ही, भारतीय संस्कृति और परंपराओं से जोड़ने के लिए भी खास प्रयास किए जाने चाहिए।
प्रशिक्षण में शामिल आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने कहा कि यहां से मिली जानकारी से वे अपने केंद्रों में बच्चों के विकास में और अधिक योगदान देंगी। सभी कार्यकर्ताओं ने शिविर के दौरान सीखी गई गतिविधियों को अपने कार्यक्षेत्र में अपनाने का संकल्प लिया।