– 10 दिवसीय एक्टिंग, पटकथा लेखन और फोटाेग्राफी की वर्कशॉप में नजर आ रहा है उत्साह
देवास। जहां कला के दीवानों के सपने नए रंग और उड़ान भरते हैं, वहीं 10 दिवसीय एक्टिंग, पटकथा लेखन और फोटाेग्राफी की वर्कशॉप ने धमाकेदार शुरुआत करते हुए युवा कलाकारों में जुनून की नई लहर दौड़ा दी है। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के अनुभवी प्रशिक्षक सुशीलकांत मिश्रा की अगुवाई में, यह प्रशिक्षण युवा कलाकारों को एक ऐसी दुनिया में ले जाता है जहां हर प्रस्तुति में उत्सुकता और रचनात्मकता की चमक दिखाई देती है।
फिल्म और थिएटर में करियर बनाने के इच्छुक युवाओं के लिए सुनहरे अवसर का द्वार खोलने वाली 10 दिवसीय वर्कशॉप प्रतिभा ग्लोबल स्कूल में चल रही है। कलाव्योम फाउंडेशन, मध्यप्रदेश सरकार, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD), नई दिल्ली और रंगाभास नाट्यशाला के संयुक्त प्रयास से आयोजित की जा रही है।
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD), नई दिल्ली के अनुभवी प्रशिक्षक सुशील कांत मिश्रा ने कलाकारों को संबाेधित करते हुए कहा, कि जब कोई स्क्रिप्ट लिखी होती है तो उसके परिवेश को पकड़ना होगा। जिस शहर का कैरेक्टर होगा, उसकी बॉडी लैंग्वेज, शब्दशैली को समझना होगा। हमारे आसपास ही ट्रेनिंग छुपी है। हमें स्वयं को इसी तरह से तैयार करना है। खुद पर भरोसा रखें। उन्होंने थिएटर और कैमरा एक्टिंग के बीच के अंतर, स्क्रिप्ट को आत्मसात करने के तरीके औरबॉडी लैंग्वेज की महत्ता पर भी प्रकाश डाला।
कलाकारों ने शॉर्ट नाटकों का किया मंचन-
वर्कशॉप के दूसरे दिन भी कलाकारों का जोश और उनकी लगन देखने लायक रही। प्रशिक्षण के दौरान कलाकारों ने शॉर्ट नाटकों का मंचन किया। प्रशिक्षक श्री मिश्रा ने कलाकारों की कमियों को सुधारने के लिए मार्गदर्शन दिया गया। इस दौरान योग कराया और स्वयं को किरदार में ढलने के प्रशिक्षित किया।
ट्रेनिंग के मुख्य बिंदु:
✅ थिएटर और कैमरा एक्टिंग का अंतर
✅ बॉडी लैंग्वेज और एक्सप्रेशन पर नियंत्रण
✅ कैमरे के सामने आत्मविश्वास बनाए रखने की तकनीक
✅ संवाद अदायगी में स्पष्टता और प्रभाव
✅ नाटक के परिवेश को समझने की प्रक्रिया
✅ कैरेक्टर बिल्डिंग और इमोशनल डेप्थ
जीवन को समझने की कला भी सिखाता है थिएटर-
कलाव्योम फाउंडेशन के अध्यक्ष अशोक श्रीमाल ने कहा, कि एक कुशल अभिनेता वही होता है, जो अपने किरदार को पूरी तरह आत्मसात कर ले। थिएटर केवल अभिनय ही नहीं, बल्कि जीवन को समझने की कला भी सिखाता है। उन्होंने प्रभावी अभिनय के लिए निरंतर अभ्यास और संघर्ष के महत्व पर भी जोर दिया। इस वर्कशॉप का उद्देश्य न सिर्फ अभिनय की कला सिखाना है, बल्कि प्रतिभागियों के भीतर छिपे नाटकीय हीरो को जगाना और उन्हें थिएटर, पटकथा लेखन तथा फोटोग्राफी के अनसुने रहस्यों से रूबरू कराना भी है
कला में निखार के लिए जरूरी है-
कलाव्योम फाउंडेशन की सचिव अपर्णा ने कहा कि एक कलाकार को अपनी कला में निखार लाने के लिए हर दिन कुछ नया सीखने की जरूरत होती है। थिएटर और फिल्मों में सफलता का रास्ता मेहनत, धैर्य और अनुशासन से होकर जाता है। उन्होंने संवाद अदायगी, भावनाओं की गहराई और कैमरे के प्रति सहजता पर भी महत्वपूर्ण सुझाव दिए।
योग को अपनाने की सलाह-
कलाव्योम फाउंडेशन के सदस्य राजदीप ने कहा कि कैमरे का सामना करते समय आत्मविश्वास और स्वाभाविकता सबसे अधिक मायने रखती है। सही भावनाओं को व्यक्त करने के लिए अपने किरदार के साथ गहराई से जुड़ना जरूरी है। उन्होंने कैमरा फ्रेंडली बनने और अपनी प्रेजेंस को मजबूत करने के लिए योग और माइंडफुलनेस को अपनाने की सलाह दी।