धर्म-अध्यात्म

भक्त की पहले, फिर भगवान की पूजा- अद्भुत मनकामेश्वर मंदिर, भौंरासा

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शिवरात्रि पर विशेष आलेख

✍ मनोज शुक्ला

मध्यप्रदेश के हृदय स्थल मालवा क्षेत्र में स्थित भौंरासा, देवास जिले से 16 किमी दूर भोपाल रोड पर बसा एक प्राचीन, ऐतिहासिक, चमत्कारी और धार्मिक नगर है। हरे-भरे आम के पेड़ों और पहाड़ियों के बीच बसा यह नगर लगभग 1600 वर्ष पुराना बताया जाता है। यहां का मनकामेश्वर मंदिर और भक्त भंवरसिंह की समाधि विशेष मान्यता रखते हैं।

भंवरसिंह की भक्ति और नगर का नामकरण

कहा जाता है कि वर्षों पूर्व भगवान शिव के परम भक्त भंवरसिंह यहां आकर भक्ति और साधना करने लगे। उनकी गहन तपस्या के कारण उन्होंने यहीं जीवित समाधि ले ली। भक्तों ने इस स्थान पर एक गुफा का निर्माण कराया, जो आज भी सुरक्षित है। भंवरसिंह की भक्ति को सम्मान देते हुए भक्त पहले उनकी समाधि पर नमन करते हैं, फिर मनकामेश्वर शिवलिंग के दर्शन करते हैं। मान्यता है कि नगर का नाम “भंवरसिंह” से “भौंरासा” प्रचलित हो गया।

मनकामेश्वर मंदिर का इतिहास और चमत्कार

मंदिर में विराजित शिवलिंग अत्यंत चैतन्य और जागृत माने जाते हैं। मुगल शासक औरंगजेब ने इस मंदिर को ध्वस्त करने का प्रयास किया और शिवलिंग पर गंडासे से प्रहार किया। कहा जाता है कि शिवलिंग से रक्त की धारा बह निकली। यह देखकर औरंगजेब भयभीत होकर भाग निकला। आज भी शिवलिंग पर उस प्रहार का निशान देखा जा सकता है।

राजा नल और रानी दमयंती की कथा-

प्राचीन मान्यता के अनुसार राजा नल और रानी दमयंती, जुआ खेलकर अपना राज्य और धन गंवाने के बाद, भटकते हुए भौंरासा पहुंचे। यहां की सुंदरता और आध्यात्मिकता से प्रभावित होकर रानी दमयंती के नाम पर एक तालाब और राजा नल के नाम पर दूसरा तालाब बनवाया। आज भी ये दोनों तालाब बरसात के दिनों में मिल जाते हैं, जो प्रेम, विश्वास और स्नेह का प्रतीक माने जाते हैं।

चमत्कारी सिद्ध कुंड और तपस्थली-

मंदिर के पास स्थित सिद्ध कुंड को चमत्कारी माना जाता है। कहा जाता है कि इस कुंड में स्नान करने से अनेक असाध्य बीमारियां ठीक हो जाती हैं। इसके अलावा, त्र्यंबक पुरी महाराज की तपस्थली और धूनी भी यहां स्थित है, जहां आज भी भक्त दर्शन करने आते हैं।

पुरातत्वविदों की खोज और मंदिर का प्राचीन महत्व

प्रसिद्ध पुरातत्वविद डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर ने इस मंदिर के शिलालेखों का अध्ययन किया और इसे पाषाण कालीन इतिहास से जोड़कर देखा। कई अन्य शासकों, जैसे राजा विक्रमादित्य, मराठा और परमार राजाओं ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया।

भक्तों की अटूट आस्था

मनकामेश्वर मंदिर में हर वर्ष महाशिवरात्रि पर हजारों श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं। मान्यता है कि भगवान शिव हर भक्त की मुराद पूरी करते हैं। यहां भक्त गहरी आस्था और श्रद्धा के साथ दर्शन के लिए लंबी कतारों में खड़े होते हैं।

शिवरात्रि पर विशेष आयोजन

शिवरात्रि के पावन पर्व पर मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना, रुद्राभिषेक और भव्य आयोजन होते हैं। दूर-दूर से श्रद्धालु भोलेनाथ के दर्शन और प्रसाद ग्रहण करने आते हैं।

अद्भुत आस्था और चमत्कारों से भरपूर यह मंदिर हर शिवभक्त के लिए एक दिव्य स्थल है। शिवरात्रि के शुभ अवसर पर, आइए हम सभी भोलेनाथ की भक्ति में लीन होकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।

 

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