महाशिवरात्रि पर विशेष: बीजेश्वर महादेव मंदिर में भक्तों का उमड़ेगा सैलाब

सुंद्रेल/बिजवाड़। देवास जिले के कन्नौद तहसील स्थित ग्राम बिजवाड़ में विराजित बीजेश्वर महादेव मंदिर श्रद्धा और आस्था का केंद्र है। यह मंदिर अपने आप में एक दिव्य चमत्कार समेटे हुए है। मान्यता है कि यहां स्थापित शिवलिंग प्रतिदिन तिल-तिल कर बढ़ता है। यही कारण है कि यह शिवलिंग अब इतना विशाल हो चुका है कि कोई भी व्यक्ति इसे अपने हाथों से नहीं उठा सकता।
संतों की तपोभूमि-
यह पवित्र स्थल मंदसौर के प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर के संस्थापक प्रत्यक्षानंद महाराज, स्वामी भागवतानंद महाराज और स्वामी नित्यानंद महाराज की तपस्या स्थली भी रहा है। यहां आने वाले भक्तों को शिव कृपा सहज ही प्राप्त होती है।
भक्तों की अटूट श्रद्धा-
महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां दूर-दूर से हजारों भक्तगण पैदल यात्रा कर दर्शन के लिए आते हैं। मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से यहां मन्नत मांगता है, उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है। मन्नत पूर्ण होने पर भक्तजन अपने बच्चों के तुलादान, भंडारा और अन्य धार्मिक आयोजन करते हैं।
शिवलिंग का दिव्य अभिषेक-
बीजेश्वर महादेव का 151 किलो दूध और भांग से विशेष अभिषेक किया जाता है, जिसे हजारों श्रद्धालु प्रसाद रूप में ग्रहण कर अपने जीवन को धन्य बनाते हैं।
महाशिवरात्रि मेला-
महाशिवरात्रि के उपलक्ष्य में 25 फरवरी से पांच दिवसीय शिव महायज्ञ प्रारंभ हो चुका है। आचार्य पंडित दिनेश व्यास और पंडित गजेंद्र व्यास के सानिध्य में यह यज्ञ विधिपूर्वक संपन्न हो रहा है। उप सरपंच प्रमोद व्यास इसके मुख्य यजमान हैं।
मंदिर के संरक्षण और विकास कार्य-
मंदिर की सुंदरता को बनाए रखने के लिए विधायक आशीष शर्मा ने अपनी निधि से लाखों रुपए प्रदान किए हैं। पूर्व सरपंच विक्रमसिंह गौड़ के कार्यकाल में भी यहां कई महत्वपूर्ण विकास कार्य किए गए हैं।
पार्किंग के लिए व्यवस्था-
महाशिवरात्रि मेले के दौरान भक्तों की सुविधा के लिए अलग से पार्किंग व्यवस्था की गई है।
बिजवाड़ चौराहे और पानीगांव रोड से आने वाले वाहनों के लिए पंचायत और पुलिस प्रशासन ने एक किलोमीटर दूर पार्किंग स्थल निर्धारित किया है।
बाहर से आने वाले दुकानदारों के लिए सुरक्षा, बिजली, पानी और अन्य आवश्यक सुविधाओं की समुचित व्यवस्था की गई है।
रात्रि जागरण करेंगे भक्त-
महाशिवरात्रि केवल एक पर्व नहीं, बल्कि आध्यात्मिक जागरण और शिवभक्ति की चरम सीमा का दिवस है। इस पावन अवसर पर भक्त अपने आराध्य महादेव का पूजन, अभिषेक और रात्रि जागरण कर उन्हें प्रसन्न करते हैं। कहा जाता है कि इस दिन सच्चे मन से की गई पूजा से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की समस्त मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं।
शिव ही सृष्टि के आदि और अंत हैं। वे संहारक भी हैं और पालनहार भी। महाशिवरात्रि की रात्रि में शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, भांग, धतूरा और अक्षत अर्पित कर भगवान आशुतोष की कृपा प्राप्त की जाती है। इस दिन शिव के पंचाक्षरी मंत्र “ॐ नमः शिवाय” का जाप विशेष फलदायी माना जाता है।




