रामायण यज्ञ: पवित्र अग्नि से शुद्ध होगी प्रकृति, बीमारियों से मिलेगा छुटकारा

– कांगरिया महादेव परिसर में एक कुंडीय यज्ञ 17 फरवरी तक
बेहरी (हीरालाल गोस्वामी)। धार्मिक ऊर्जा से ओत-प्रोत पर्वतीय स्थल कांगरिया महादेव परिसर में 13 फरवरी से 17 फरवरी तक एक कुंडीय रामायण यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन आध्यात्मिक संतों के सानिध्य में हो रहा है, जिसका उद्देश्य पर्यावरण शुद्धि, आध्यात्मिक उन्नति और जनकल्याण है।
आध्यात्मिक मार्गदर्शन में यज्ञ का शुभारंभ-
इस पवित्र यज्ञ का आयोजन जटाशंकर के ब्रह्मलीन महंत केशव दासजी और ब्रह्मलीन महंत विष्णु दासजी खाकी की प्रेरणा से किया जा रहा है। जटाशंकर के महंत बद्रीदास जी के सानिध्य में यह भव्य आयोजन हो रहा है। इस दौरान प्रमुख संतों में भगवान दास खाकी, रेणुका माता मंदिर के संत गोविंद दास त्यागी और संत रमेश महाराज खाकी भी अपनी उपस्थिति से यज्ञ को दिव्यता प्रदान कर रहे हैं।
वैदिक परंपरा से निर्मित यज्ञ वेदी-
यज्ञ स्थल को पूरी तरह से वैदिक परंपरा के अनुसार तैयार किया गया है। प्राचीन रीति से पत्तों और लकड़ी द्वारा निर्मित यज्ञ वेदी को गोबर व गोमूत्र से शुद्ध किया गया। इसके अलावा, केल पत्तों की पूजा कर यज्ञस्थल की पवित्रता सुनिश्चित की गई। छाया के लिए जामुन और अन्य औषधीय पत्तों का उपयोग किया गया, जो इस यज्ञ को प्रकृति के और भी करीब लाता है।
यज्ञ में देशी घी और औषधीय सामग्री का महत्व-
यज्ञ आचार्य महाकाल पं. सुनील पाठक ने बताया कि इस यज्ञ में पूरी तरह से प्राकृतिक हवन सामग्री का उपयोग किया जा रहा है। इसमें देशी गाय के दूध से बने घी, जो, तिल, गूगल और पलाश की विशेष भूमिका है। यज्ञ में एक क्विंटल हवन सामग्री का उपयोग किया जाएगा, जिससे पांच दिनों तक निरंतर हवन संपन्न होगा।
हवन से शुद्ध होगा वातावरण-
यज्ञ आचार्य पं. सुनील पाठक ने बताया कि इस यज्ञ का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत गहरा है। हवन से निकलने वाला धुआं वायुमंडल को शुद्ध करता है, जिससे प्रदूषण कम होता है। इसके अलावा, यज्ञ की अग्नि में डाली जाने वाली औषधीय सामग्री हवा में मिलकर रोगों को दूर करने में सहायक होती है। महामारी और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से बचाव के लिए इस प्रकार के आयुर्वेदिक यज्ञ बेहद आवश्यक हैं।
संतों के सानिध्य में भक्तों की आस्था-
यज्ञ अनुष्ठान में दूर-दूर से श्रद्धालु भाग ले रहे हैं। गुरुवार को डबलचौकी के पास अमलाझीरी से आए श्रद्धालु अर्जुन दिलीप दो जोड़े इस धार्मिक अनुष्ठान का हिस्सा बने। इस यज्ञ में आसपास के 60 से अधिक गांवों के ग्रामीणजन सहयोग कर रहे हैं और आस्था के साथ भाग ले रहे हैं।

पर्वतीय क्षेत्र की प्राकृतिक औषधीय संपदा-
यह पर्वतीय क्षेत्र प्राकृतिक औषधियों और विलुप्तप्राय वन्यजीवों का संरक्षक भी है। यहां की जलवायु और जैव विविधता विशेष रूप से स्वास्थ्यवर्धक है, जिससे इस स्थान का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व और भी बढ़ जाता है।
धार्मिक ऊर्जा और पर्यावरण शुद्धि का संगम-
इस पांच दिवसीय यज्ञ में धार्मिक और आध्यात्मिक ऊर्जा के साथ पर्यावरण शुद्धि का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। यह यज्ञ न केवल आध्यात्मिक उन्नति का माध्यम बनेगा, बल्कि क्षेत्र में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करेगा।
आध्यात्मिकता और विज्ञान का अद्भुत संगम-
श्रद्धालुओं का कहना है, कि यह यज्ञ भारतीय परंपराओं और आधुनिक विज्ञान के बीच अद्भुत तालमेल को दर्शाता है। यज्ञ के माध्यम से न केवल आध्यात्मिक उन्नति होती है, बल्कि पर्यावरण और स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाया जाता है। ऐसे धार्मिक आयोजन सभी गांवों में निरंतर किया जाना चाहिए।



