क्रोध, अहंकार और प्रतिशोध की ज्वाला बर्बाद कर देती है- सद्गुरु मंगल नाम साहेब

Posted by

Share

 

kabir asharam

देवास। जो किसी हथियार से नहीं मरा उसको शब्दों का प्रहार कर मार दिया। अश्वत्थामा हाथी था या नरों या कुंजरो। मरा था कुंजर (हाथी) लेकिन शंख बजाकर भ्रमित कर दिया। भ्रम पैदा कर दिया कि अश्वत्थामा मारा गया और अपने पुत्र को मरा समझकर गुरु द्रोणाचार्य ने आत्मसमर्पण कर दिया, विदा हो गए। अश्वत्थामा हाथी था, वह मारा था लेकिन भगवान ने सोचा इसे हरा तो सकते नहीं लेकिन यह मोह-माया से मुक्त नहीं है तो उन्होंने घोषणा की अश्वत्थामा हाथी नहीं मारा गया नरों मारा गया। कुंजरों नहीं नरों मारा गया। इस मोह फांस से की मेरा पुत्र मर गया है द्रोणाचार्य विदा हो गए।

यह विचार सद्गुरु मंगल नाम साहेब ने सद्गुरु कबीर सर्वहारा प्रार्थना स्थलीय सेवा समिति मंगल मार्ग टेकरी द्वारा आयोजित गुरु शिष्य गुरुवाणी पाठ में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि एक शब्द औषधि करें, एक शब्द करे घाव। शब्द के घाव ने द्रोणाचार्य को विदा कर दिया। द्रोणाचार्य का वीर पुत्र अश्वत्थामा महाभारत युद्ध में कौरव की ओर से लड़ा था। युद्ध में अपनी ताकत और क्रोध के कारण उसने कौरवों की हार के बाद पांडवों से प्रतिशोध लिया। रात को अंधेरे में पांडवों के पुत्रों को मार डाला सोते हुए, लेकिन यह क्रूरता उसे भारी पड़ी। भगवान श्रीकृष्ण ने उसे इस घोर पाप के लिए श्राप दिया कि अश्वत्थामा अनंतकाल तक पृथ्वी पर भटकता रहेगा अपने घावों के साथ। मृत्यु का आह्वान करते हुए भी उसे नहीं पा सकेगा। अश्वत्थामा आज भी हमारे बीच भटक रहा है। उस अमर श्राप का बोझ उठाए हुए। क्रोध और प्रतिशोध अहंकार में खोकर हम अपने ही जीवन को दुख से भर लेते हैं, इसलिए कभी भी क्रोध और अहंकारवश निर्णय नहीं लेना चाहिए। क्रोध, अहंकार और प्रतिशोध की ज्वाला बर्बाद कर देती है। जो क्रोध पर नियंत्रण नहीं करता उसका जीवन नर्क के समान हो जाता है। इस दौरान सद्गुरु मंगल नाम साहेब को साध संगत ने नारियल भेंट कर आशीर्वाद लिया। यह जानकारी सेवक वीरेंद्र चौहान ने दी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *