- गुनेरा-गुनेरी नदी में तीन किमी के क्षेत्र तक भरा हुआ है पानी
- किसानों एवं पशुपालकों को मिलेगा लाभ, आने वाले दिनों में नहीं होगी समस्या
बेहरी (हीरालाल गोस्वामी)। ग्रामीण क्षेत्रों में पानी का मुख्य स्त्रोत नदियां ही होती हैं। बोरिंग-हैंडपंप में भी पानी का स्तर नदियों के कारण बना रहता है। इस बार ग्राम पंचायत की सक्रियता से अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में गुनेरा-गुनेरी नदी में भरपूर पानी है। इस पानी का उपयोग खेतों में सिंचाई में हो रहा है। नदी में पानी होने से पशु पालक भी उत्साहित हैं।
उल्लेखनीय है, कि अधिकतर पंचायत में जनभागीदारी से जल संरक्षण के प्रयास हो रहे हैं। पंचायत क्षेत्र में बहने वाले नदी-नालों में पानी को रोकना कठिन काम था, लेकिन बेहरी, सेवन्या, लखवाड़ा और धावड़िया पंचायत द्वारा इस काम को प्राथमिकता से किया गया। इन पंचायतों ने बहते हुए पानी को रोकने में अपनी अग्रणी भूमिका निभाई। अक्टूबर माह के अंतिम सप्ताह में यहां से निकलने वाली गुनेरा-गुनेरी नदी में लगभग 3 किलोमीटर क्षेत्र में पानी भरा हुआ है। यह सब विभिन्न पंचायतों की सक्रियता से हुआ है। पंचायतों ने पांच से अधिक स्थानों पर पानी रोका है। गत दिनों गिरे मावठे की वजह से पानी का स्तर और बढ़ गया है। हालत यह है कि अभी भी सभी स्टाॅप डैम के ऊपर से पानी बह रहा है। इसके चलते 100 से अधिक किसान रास्ते में आने वाले अपने खेतों की सिंचाई को अच्छी तरह से कर रहे हैं।
सरपंचों के प्रयास सराहनीय-
बेहरी के सरपंच हुकमसिंह बछानिया पढ़ाई-लिखाई में तो बहुत कमजोर हैं, लेकिन पानी रोकने के गणित में माहिर हैं। उन्होंने जल संरक्षण अभियान में बड़-चढ़कर हिस्सा लिया। वहीं धावड़िया पंचायत के सरपंच तेजसिंह ओसारी ने भी पानी रोकने में अपनी भूमिका निभाई। सेवन्या पंचायत के सरपंच विरामसिंह कुमरिया, लखवाड़ा ग्राम पंचायत के सरपंच रामचंद्र देलमिया ने भी पानी रोकने में सक्रियता दिखाई।
रपटा और स्टाप डैम ऊंचा होना चाहिए-
दुग्ध सहकारी संस्था के पूर्व अध्यक्ष महेंद्र दांगी ने बताया, कि प्रतिवर्ष गर्मी के दिनों में मवेशियों को पानी पिलाने और नहलाने में बड़ी दिक्कत आती है, लेकिन इस वर्ष मार्च माह तक पानी रहने की संभावना है। यदि बेहरी-बागली मार्ग पर आने वाला रपटा थोड़ा ऊंचा हो जाए और स्टॉप डैम भी ऊंचा बन जाए तो वर्षभर यह परेशानी खत्म हो जाएगी। अभी भी पंचायत द्वारा जो कार्य किया गया है, वह सराहनीय है। क्षेत्र के तीनों सरपंच का ग्रामीणों ने आभार व्यक्त किया।
संबंधित पंचायत के सचिवों ने बताया, कि नदी-नालों में पानी अधिक होने के चलते थोड़ी परेशानी रही, लेकिन इच्छाशक्ति और लगन ने पानी रोकने में अहम भूमिका निभाई है।
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