माता-पिता और गुरु को दोष देने के बजाय अपने कर्मों को सुधारो- सद्गुरु मंगल नाम साहेब
देवास। इस मृत्यु लोक में माया का रस पीने में लगा हुआ है सांसारिक जगत। साहब ने समझाया है अपनी वाणी-विचारों से लेकिन मानव माया में उलझा हुआ है। माया खरीदने जाते हैं, लेकिन परमात्मा को पाना नहीं चाहते। समय यानी काल का भेद कोई नहीं जान पाया। समय रहते सद्कर्म कर लों। हम अपने कर्मों को तो सुधारते नहीं है। दोष देते फिरते हैं गुरु और माता-पिता को। समय रहते सारे काम कर लेना चाहिए क्योंकि समय चुकने के बाद जीवन में बड़ी परेशानी खड़ी हो जाती है।
यह विचार सदगुरु कबीर सर्वहारा प्रार्थना स्थलीय सेवा समिति द्वारा आयोजित चौका आरती के दौरान सद्गुरु मंगल नाम साहेब ने व्यक्त किए। इस दौरान नितिन साहेब और नीरज साहेब को आश्रम की चरण सेवा प्रदान की गई। उन्होंने कहा कि साहब सबका एक है लेकिन साहब का कोई एक नहीं। साहब के लिए सब बराबर है। नाक में जो निरंतर बह रहा है श्वास रूप में वही ब्रह्मांड का मालिक है। अरबो खरबों ग्रंथ बने हैं माया से बचने के लिए लेकिन उसको ही भज-भज के फंसे जा रहे हैं, चैन नहीं है किसी को। सूरज को नहीं, चंद्रमा को चैन नहीं। राहु-केतु को नहीं। सारे नवग्रहों और 27 नक्षत्र को चैन नहीं है। सभी धरती की ओर आ रहे हैं।
सूर्य ने अपना पुत्र पैदा कर धरती पर भेजा, इंद्र ने अपना पुत्र पैदा कर धरती पर भेजा लेकिन धरती के लोग आकाश में जा रहे हैं और आकाश वाले मां के पेट से जन्म लेकर धरती पर आ रहे हैं। कोई आकार को तो कोई निराकार को पूज रहा है लेकिन पहुंच कोई नहीं रहा है। इसलिए साहब कहते हैं कि जब तक मन से निर्मल नहीं होंगे, माया से मुक्त नहीं होंगे तब तक जीवन में उजियारा नहीं हो सकता। तब तक जीवन सफल नहीं हो सकता। सद्गुरु की संगति और उनके वाणी विचारों से ही माया के बंधन से मुक्त होकर जीवन में उजियारा हो सकता है। यह जानकारी सेवक वीरेंद्र चौहान ने दी।
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