खेत पाठशाला में किसानों को बताया जैविक खेती का महत्व

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मेंढकीधाकड़ में कृषक जगदीश नागर के खेत पर विशेषज्ञों ने प्राकृतिक खेती की जानकारी दी

देवास। कृषि विकासखंड देवास के अंतर्गत गांव मेंढकी धाकड़ में सब मिशन आन एग्रीकल्चर एक्सटेंशन (आत्मा) अंतर्गत खेत पाठशाला का आयोजन किसान जगदीश नागर के खेत पर किया गया। इसमें सोयाबीन की फसल का प्रदर्शन कर किसानों को महत्वपूर्ण जानकारी दी गई। प्राकृतिक एवं जैविक खेती पर किसानों को प्रशिक्षित किया गया।

उप परियोजना संचालक एमएल सोलंकी, जैविक खेती विशेषज्ञ दीपक राव, बीटीएम रोहित यादव एवं उन्नतशील कृषक उपस्थित हुए। उप परियोजना संचालक आत्मा श्री सोलंकी ने कहा कि जीरो बजट प्राकृतिक खेती देसी गाय के गोबर और गोमूत्र पर आधारित है। प्राकृतिक खेती में जीवामृत, घन जीवामृत, बीजामृत का प्रयोग किया जाता है। मध्यप्रदेश शासन द्वारा प्राकृतिक एवं जैविक खेती के लिए कृषकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्राकृतिक खेती पूर्णरूप से रासायनिक उर्वरक, कीटनाशक व खरपतवार नाशक से मुक्त है।

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जीवामृत से पोषक तत्वों में होती है वृद्धि-

जैविक खेती विशेषज्ञ श्री राव ने बताया कि एक एकड़ के लिए जीवामृत बनाने के लिए देसी गाय का गोबर 10 किलोग्राम, देसी गाय का गोमूत्र 10 लीटर, गुड़ व बेसन 1 से 2 किलो व बरगद या पीपल के पेड़ के नीचे की मिट्टी एक किलोग्राम को 200 लीटर पानी में तैयार किया जाता है। 7 दिनों में जीवामृत तैयार हो जाता है। जीवामृत को खेत में डालने से मृदा में जीवाणुओं की संख्या में वृद्धि व प्राकृतिक तरीके से पोषक तत्वों में वृद्धि होती है।

पर्यावरण भी शुद्ध होता है-

बीटीएम श्री यादव ने किसानों को सोयाबीन की नई किस्मों, कीट बीमारियों एवं उनके रोकथाम के बारे में जानकारी दी एवं किसानों से निवेदन किया कि वह कम से कम एक एकड़ में जैविक प्राकृतिक खेती करना प्रारंभ करे, जिससे वे अपने परिवार के लिए स्वस्थ अनाज पैदा कर सके और धीरे-धीरे अपने संपूर्ण खेती को जैविक प्राकृतिक तरीके करना प्रारंभ करें। इससे कम लागत में अच्छा उत्पादन मिलता है और पर्यावरण भी शुद्ध होता है।

अनुभव साझा किया-

किसान श्री नागर ने भी किसानों से खेती के अपने अनुभव साझा किया तथा उन्होंने जैविक प्राकृतिक खेती करने का संकल्प लिया। उपस्थित अन्य कृषकों ने भी संकल्प लिया कि हम अब धीरे-धीरे जैविक प्राकृतिक खेती करना प्रारंभ करेंगे।

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