जिसके जीवन में सत्य नहीं, उसका जीवन हो जाता है कष्टप्रद- पं. अजय शास्त्री
गोविंद राधे-राधे गोपाल राधे-राधे भजन पर झूम उठे श्रद्धालु
देवास। जीवन का उद्देश्य जीवात्मा को केवल और केवल परमात्मा की प्राप्ति करना ही होता है, लेकिन जब जीवात्मा सांसारिक जगत में आता है तो वह परमात्मा को भूल जाता है। इस सांसारिक जगत के माया-मोह में उलझकर रह जाता है। संसार में आकर उसकी वृत्ति बदल जाती है, उसका भाव बदल जाता है। फिर वह परमात्मा को भूलकर माया को प्राप्त करना चाहता है, जबकि माया से मिलने वाला सुख क्षणिक है। माया तो एक न एक दिन खत्म हो जाती है, लेकिन परमात्मा रूपी धन जन्म जन्मांतर तक साथ देता है।
यह विचार व्यासपीठ से पं. अजय शास्त्री सिया वाले ने भोपाल रोड स्थित आंवलिया पिपलिया में श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन व्यक्त किए।
उन्होंने कहा किसी के घर भगवान सत्यनारायण की कथा होती है तो उसमें सत्यनारायण भगवान की जय बोला जाता है, क्योंकि भगवान सत्य के परिचायक है और जिसके जीवन में सत्य नहीं है, उसका जीवन कष्टप्रद हो जाता है।
पं. शास्त्री ने कहा, कि इंसान का जीवन तब जाकर सफल होता है, जब उसे परमात्मा की कथा श्रवण करने का अवसर मिल जाए। जीवन में धन प्राप्त होना, पति प्राप्त होना, पत्नी प्राप्त होना लेकिन परमात्मा की कथा श्रवण का अवसर प्राप्त होना भाग्य की बात होती है। परमात्मा की कृपा के बिना कथा श्रवण का अवसर भी नहीं मिल सकता। इस दौरान पं. शास्त्री ने गोविंद राधे-राधे गोपाल राधे-राधे जैसे एक से बढ़कर एक भक्ति गीतों की सुमधुर संगीतमय प्रस्तुति दी तो श्रद्धालु झूमने लगे।
आयोजक मंडल के बाबूलाल शर्मा, संजय शास्त्री, अनिल सर सहित धर्मप्रेमियों ने व्यासपीठ की पूजा-अर्चना कर आरती की। कथा प्रतिदिन दोपहर एक से शाम चार बजे तक आयोजित की जा रही है।
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