स्वास्थ्य

असावधानी भारी पड़ सकती है कोमल आंखों पर

– गर्मी के दिनों में कैसे बचें आंखों की बीमारियों से

– समस्या होने पर खुद ही इलाज न करें, नेत्र रोग विशेषज्ञ की लें सलाह

– अमलतास अस्पताल की नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. ममलेश्वरी पाटिल से विशेष चर्चा

देवास। इन दिनों दोपहर में तेज धूप के साथ धूलभरी हवा उड़ रही है। हवा के साथ वातावरण में धूल के कण दूर-दूर तक फैलते हैं। ये धूल के कण वाहन चलाने के दौरान आंखों में भी उड़ते हैं। साथ ही शाम को वाहन चलाते वक्त मच्छर, कीड़े आदि आंखाें में प्रवेश कर जाते हैं। कोमल आंखों के लिए ये बेहद ही घातक हो सकते हैं। छोटी सी असावधानी भविष्य में आंखों की कई तरह की बीमारियों का कारण बनती है। समय रहते उपचार पर ध्यान नहीं दिया तो आंखों से कम दिखना सहित अन्य परेशानी हो सकती है।

आंखों की बीमारियों से बचाव और देखभाल को लेकर हमने देवास जिले के उज्जैन रोड पर बांगर में स्थित अमलतास अस्पताल में नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. ममलेश्वरी पाटिल से चर्चा की। डॉ. पाटिल का कहना है अगर आंखों में धूल-मिट्टी या कचरा गया है तो इससे आंखों में किरकिरापन, चुभन, जलन जैसी समस्या होती है। धूल के कण आंखों में चिपकने पर अलसर यानी आंख का छाला भी बना सकते हैं। अगर आपको लगता है, कि आंखों में कचरा है तो डॉक्टर के पास जाए और उसे निकलवा लें। अगर आंख में कोई मच्छर, कीड़ा प्रवेश कर जाता है तो उसे कभी रगड़े या मसले नहीं। तुरंत ठंडे पानी से आंखों पर छपकारे मारे। ज्यादा परेशानी लगती है, तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

मोबाइल का इस्तेमाल अधिक करने वालों के लिए डॉ. पाटिल की सलाह है, कि मोबाइल का यूज कम ही करना चाहिए, क्योंकि उससे जो किरणें निकलती है, वह आंखों के लिए कष्टदायक होती है। मोबाइल देखने में बहुत समय तक हमारी आंखों को जोर देना पड़ता है। बच्चों के मामले में तो विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। छोटे बच्चे मोबाइल का उपयोग कम ही करें तो बेहतर है। अगर मोबाइल का अधिक इस्तेमाल करना आवश्यक है तो ऐसे चश्मों का इस्तेमाल कीजिएं, जिनसे अल्ट्रावाइलेट किरणों का प्रभाव कम हो सके।

नेत्र रोग विशेषज्ञ से सलाह लें-

डॉ. पाटिल ने कहना आंखों की बीमारी में मुख्य है लालपन आना, चिपचिपापन होना, खुजली होना। ये बीमारी अन्य किसी को ना हो इसके लिए अपना रूमाल, टॉवेल अलग रखे, काला चश्मा पहने। मेडिकल शॉप पर जाकर सीधे दवाई ना लें। आंखों की तकलीफ होने पर नेत्र रोग विशेषज्ञ को दिखाएं और उनके कहे अनुसार दवाई लें।

वर्ष में एक बार अवश्य करवाएं जांच-

आंखों की जांच वर्ष में एक बार अवश्य करवाना चाहिए। आपको चश्मा लगता है तो चश्मे के नंबर की जांच करवाएं। इस दौरान चश्मे का नंबर बदल सकता है। आंखों में परदे के रोग भी होते हैं। अचानक से दिखना कम हो जाता है। इस प्रकार की परेशानी में नेत्र रोग विशेषज्ञ की सलाह लें। आंखों की जांच नेत्र विशेषज्ञ के पास जाकर ही करवाना चाहिए।

अत्याधुनिक पद्धति से ऑपरेशन-

डॉ. पाटिल ने बताया अमलतास अस्पताल में आंखों से संबंधित समस्त प्रकार के रोगों का उपचार होता है। मोतियाबिंद का ऑपरेशन अत्याधुनिक फेको पद्धति द्वारा फोल्डेबल लैंस डालकर होता है। यहां पर नासूर का ऑपरेशन भी होता है। ग्लूकाेमा के सारे चेकअप, ऑपरेशन होते हैं। छोटे बच्चों में परदे की जो बीमारी होती है, उसका इलाज भी होता है। रेटिना की सब तरह की जांचें भी अमलतास अस्पताल में होती है।

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