धर्म-अध्यात्म

अंबेश्वर महादेव: यहां पर निकलता है आम की जड़ से स्वच्छ पानी

महाशिवरात्रि पर विशेष

बागली (हीरालाल गोस्वामी)। महाशिवरात्रि पर्व को लेकर भक्तों में उत्साह का वातावरण है। क्षेत्र में कई शिवालय हैं, जहां महाशिवरात्रि पर्व पर अनुष्ठान होंगे। इन्हीं शिवालयों में से एक है अंबेश्वर महादेव। यह शिवालय क्षेत्र के सबसे ऊंचे भैसूड़ा पर्वत पर स्थित है। महाशिवरात्रि पर्व पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आएंगे। यहां पर वर्षभर पेड़ की जड़ से पानी की धारा बहती है, जो शोधकर्ताओं के लिए भी शोध का विषय है।

बागली मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूर क्षेत्र के सबसे उंचे पर्वत शिखर भैसूड़ा पर्वत के मध्य 300 वर्ष पुराने आम के पेड़ की जड़ों से शुद्ध निर्मल जल यह बहता है। यह जल 12 ही महीने श्रद्धालुओं की प्यास बुझाता है। शोधकर्ता भी यह पता नहीं लगा पाए, कि पहाड़ के मध्य में पेड़ की जड़ से पानी कैसे निकल रहा है।

यहां के ग्रामीण बताते हैं, कि क्षेत्र के चरवाहे पशु चराते समय इस झीरे से दोपहर का भोजन करने के बाद अपनी प्यास बुझाते थे। धीरे-धीरे इसकी जानकारी अन्य लोगाें तक पहुंची। वर्ष 1985 के लगभग यहां पर वन विभाग के अधिकारियों ने छोटा सा मंदिर बना दिया। इसका नाम अंबेश्वर महादेव मंदिर रखा गया। बाद में वर्ष 2015 में बेहरी, बागली, बावड़ीखेड़ा के श्रद्धालुओं ने मिलकर मंदिर का जीर्णोद्धार किया व शिवलिंग स्थापित किया। ऊपर तक जाने के लिए सीढ़ी मार्ग को भी दुरुस्त किया। वन विभाग द्वारा जब यहां मंदिर बनवाया था, उस वक्त खुदाई के दौरान प्राचीन ईंट यहां से निकली थीं, जो धार स्टेट की बताई जाती है। ये ईंटे 700 वर्ष से अधिक पुरानी बताई जाती है। यह स्थान धीरे-धीरे अस्तित्व में आ गया। शिवरात्रि पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पर दर्शन करने आते हैं। वर्ष में दो बार इस स्थान पर यज्ञ होता है। इस पर्वत के शिखर से देवास माताजी की टेकरी और इंदौर देवगुराड़िया पर्वत दिखाई देता है। इससे इसकी ऊंचाई का अंदाजा लगाया जा सकता है।

लोगों का कहना है, कि क्षेत्र का सबसे ऊंचा पर्वत शिखर यही है। इसकी चोटी पर धार स्टेट का सीमांकन लेवल लगा हुआ है। इससे प्रतीत होता है यहां पर स्टेट के समय सैनिकों की चौकी हुआ करती थी। दिवंगत संत कालूजी महाराज यहां पर रहे तो उन्होंने आसपास आम के पौधे लगाए थे, जो अब वृक्ष बन चुके हैं। बावड़ीखेड़ा तक सड़क है। इसके बाद 2 किलोमीटर के कच्चे रास्ते से होकर यहां पर पहुंच सकते हैं। भीषण गर्मी में भी यहां शीतलता का एहसास होता है।

Advertisement

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button