- मंदिर में हजारों वर्ष पूर्व पांडवों ने की थी शिवलिंग की स्थापना
- चमत्कार भी हुए, भंडारे में घी खत्म होने पर कढ़ाई में डाला तीन डिब्बे पानी, जो बन गया था घी
देवास। (विजेंद्रसिंह ठाकुर)
टोंकखुर्द से 5 किलोमीटर दूर दक्षिण दिशा में अति प्राचीन श्री झरणेश्वर महादेव मंदिर स्थित है। यह मंदिर अपने आप में अनूठा है। यहां शिवरात्रि पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। इस बार भी विशेष आयोजन होंगे क्विदंती है, कि यहां हजारों वर्ष पूर्व पांडवों ने शिवलिंग स्थापित किया था। यहां के पर्वत की श्रृंखला विंध्यांचल पर्वत के जैसी ही है।
क्षेत्रवासी भी बताते हैं कि जब एक बार यहां साधु महात्मा ने भंडारा करवाया था, तब कढ़ाई में घी खत्म हो गया था। उस समय गुरु ने पास में बने कुंड से तीन डिब्बे पानी कढ़ाई में बाबा का नाम लेकर डाल दिया और वह घी बन गया, जिसकी पूड़ी भक्तों को खिलाई। क्षेत्र के लोग यह भी बताते हैं, कि इसी कुंड में नहाने से भभुतिया नामक रोग नष्ट हो जाता है। वहीं पास में कनेर गिर महाराज का समाधि स्थल है। बाबा ने कई वर्ष पहले क्षेत्र में ओलावृष्टि से सुरक्षा को लेकर समाधि ले ली थी।
ऐसा माना जाता है, कि अब भी कन्हेरिया ग्राम सहित आसपास के दर्जनों गांव में ओलावृष्टि होती है तो उनके नाम से ही बंद हो जाती है। इन्हीं के नाम पर ग्राम कन्हेरिया का नाम पड़ा। कुछ समय पहले इस स्थान को शासन ने धार्मिक स्थल घोषित कर पर्यटन स्थल बनाने की घोषणा की थी, लेकिन अभी तक यहां विशेष कार्य नहीं हो सके। आसपास की पहाड़ियों पर गिट्टी मशीन संचालित है, जिससे प्रदूषण फैल रहा है।
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