- संस्कार रूपी धन कभी नष्ट नहीं होता
- श्रीराम कथा में राम-सीता विवाह बड़ी धूमधाम से मनाया
देवास। मक्सी रोड बजरंगबली नगर स्थित हनुमंतेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण में आचार्य अनिल शर्मा आसेर वाले के श्रीमुख से बह रही सात दिवसीय श्रीराम कथा रूपी ज्ञान गंगा में प्रतिदिन बड़ी संख्या में धर्मप्रेमी डुबकी लगा रहे हैं।
गुरुवार को व्यासपीठ से आचार्य शर्मा ने विचार प्रकट करते हुए कहा, कि भगवान नारायण समुद्र में रहते हैं। समुद्र में गंगा, जमुना, सरस्वती, नर्मदा, ताप्ती, कृष्णा, कावेरी, सरयू, नर्मदा आदि सभी नदियां समाती है। अथाह जल है, फिर भी समुद्र शांत रहता है। इसलिए समाते वही है, जिसका ह्रदय विशाल हो। भगवान नारायण ने कहा, कि जिसका ह्रदय विशाल हो मैं वही निवास करता हूं। भगवान तब आते हैं, जब कोई भक्त सच्चे ह्रदय से बुलाता है। परमात्मा कहते हैं, मैं तो सिर्फ मन के कारण जाता हूं, धन के कारण नहीं। परमात्मा के आगे अहंकार नहीं चलता। परमात्मा के सामने जो भाव से दान किया गया है, जो हृदय से दिया गया है, वही दान दान है। ठाकुरजी को धन से रिझाने का प्रयास नहीं करना चाहिए। उन्होंने आगे कहा, कि अपने बच्चों को हर माता-पिता संस्कार रूपी धन दें, क्योंकि सोना, चांदी, धन संपत्ति आदि धन तो खर्च हो जाएगा, लेकिन संस्कार रूपी धन अगर दे दिया तो वह कभी नष्ट नहीं होगा। भगवान को धन से नहीं बल्कि निर्मल मन से याद करोंगे तो अवश्य आएंगे।
भगवान राम के रूप में अक्षरा आर्य तो सीता के रूप में निक्की यादव जैसे ही कथा पंडाल में आए श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया। इस अवसर पर तुम उठो सिया श्रृंगार करो श्रीराम ने शिव धनुष तोड़ा है… जैसे एक से बढ़कर एक भक्तिमय गीत की प्रस्तुति से श्रद्धालु झूम उठे। राम-सीता विवाह की आचार्य शर्मा ने भावपूर्ण व्याख्या की।
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