रिश्ते गलतियों से नहीं बल्कि गलतफहमी से टूटते हैं

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मानव जीवन में रिश्तों का महत्वपूर्ण स्थान है। रिश्तों के बिना जीवन संभव नहीं। कुछ रिश्ते हमारे जन्म से बनते हैं। कुछ हम हमारे व्यवहार से बनाते हैं।

रिश्ते पौधों के समान होते हैं। जिस प्रकार हम पौधे की देखभाल करते हैं, बिना देखभाल के पौधे सूख जाते हैं वैसे ही हमारे रिश्ते भी होते हैं। यदि रिश्तों को समय नहीं दिया जाए तो वह भी धीरे-धीरे सूख जाते हैं या खत्म हो जाते हैं। जिंदगी में रिश्ते जरूरी है, लेकिन रिश्ते में भी जीवन होना जरूरी है।रिश्तों के टूटने के कारण गलतियां नहीं बल्कि गलतफहमी होती है। गलती मानवीय स्वभाव हैं और उसे क्षमा किया जा सकता है या ठीक किया जा सकता है। लेकिन गलतफहमी हमारे मन की सोच होती है जो हमारी संकीर्णता के कारण पैदा होती है। हमारे मन और विचार कभी भी संकीर्ण नहीं होना चाहिए बल्कि स्वस्थ रहना चाहिए। वर्तमान आधुनिकता के दौर में रिश्तों की अहमियत और ज्यादा हो गई है। अपनी जीवन शैली को इस प्रकार रखिए कि उसमें रिश्तों का भी जीवन हो और उसके लिए समय हो। यही हमारी आदर्श जीवन शैली होगी।

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