बम और पिस्तोलों से क्रांति नहीं आती, शहीदों के विचारों को कभी मारा नहीं जा सकता

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देवास। शहीदे-आजम भगतसिंह ने कहा था कि बम और पिस्तोलों से क्रांति नहीं होती। क्रांति विचारों से आती है। लोगों के विचारों को दबाया जा सकता है लेकिन खत्म नहीं किया जा सकता। भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के महानायक भगतसिंह, सुखदेव व राजगुरु ऐसे क्रांतिकारी थे जिन्हें भुलाया नहीं जा सकता। इनकी शहादत आज भी युवा पीढ़ी को देशभक्ति की सीख देती है।

यह बात शहीद भगतसिंह व साथियों के बलिदान दिवस पर प्रगतिशील लेखक संघ द्वारा आयोजित संगोष्ठी में उभरकर आई।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विजय श्रीवास्तव ने कहा कि भगतसिंह हमारे नायक हैं। देश-दुनिया में ऐसे महान अमर शहीद बिरले ही पैदा होते हैं। इनकी शहादत को नमन करना चाहिए। विशेष अतिथि प्रकाश कोर्डे ने कहा कि स्वतन्त्रता आंदोलन के दौर में समरसता देखी जा सकती थी जो अब दुर्लभ है। देश परिवार में सामाजिक मूल्य होने चाहिए। आकिल खान ने कहा कि भगतसिंह की उम्र बहुत छोटी थी, मगर उनके काम आज भी स्मृति पटल पर कौंधते हैं। एसएल परमार ने कहा, कि क्रांतिकारी शहीदों की कुर्बानी का देश ऋणी रहेगा। दीपक कर्पे ने कहा कि अंग्रेजों के कुशासन को हटाने के लिए क्रांतिकारियों ने बहुत जद्दो-जहद की थी। प्रो. एसएम त्रिवेदी ने कहा, कि देश आज़ाद होने के बाद बहुत से त्रासद पड़ावों व कमजोरियों से गुज़रा है, जिनसे सबक लेकर हमें आगे बढ़ना चाहिए। डॉ. बालाराम परमार ने कहा कि शहीदों को हमने नहीं देखा है लेकिन उनके कामों का अनुसरण करना चाहिए। गोष्ठी में डॉ. पवनकुमार चिल्लोरिया, हरि जोशी, कैलाश वर्मा ने भी अपने विचार रखे।

संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए पूर्व न्यायाधीश रामप्रसाद सोलंकी ने अपने उद्बोधन में बताया कि भगतसिंह को फांसी देने के बाद उनकी देह के साथ ब्रिटिश हुकूमत ने घिनौना कृत्य किया, जिसे सुनकर देशवासियों का लहू खौल उठता है। प्रलेसं के उपाध्यक्ष कैलाशसिंह राजपूत ने कहा कि भगतसिंह ऐसा देश बनाना चाहते थे, जहां पर समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता के मूल्य हों। वे फासीवाद, पूंजीवाद तथा सांप्रदायिकता के घोर विरोधी थे। प्रतिभा कुमार ने कहा कि भगतसिंह किसान हितैषी थे व उनका दुखदर्द समझते थे। मांगीलाल कजोड़िया ने कहा कि राजे-रजवाड़ों ने हमेशा अंग्रेजों का साथ दिया क्योंकि वे सत्ता सुख भोगना चाहते थे। सत्यवान पाटिल ने कहा कि लोकतंत्र और संविधान को बचाना चाहिए नहीं तो अगली पीढ़ी माफ नहीं करेगी। संचालन करते हुए प्रलेसं सचिव राजेंद्र राठौर ने कहा कि भगतसिंह के नाम पर राजनीति की जाती है और उनके कार्य को हाशिये पर धकेल दिया जाता है।

गोष्ठी में डॉ प्रकाश कांत, ओमप्रकाश वागड़े, अजीज रोशन, बद्रीलाल गोयल, मिर्जा जी, भगवानदास मेहता, नरेंद्र जोशी, ओपी तिवारी, मेहरबान सिंह आदि उपस्थित थे। आभार भारतसिंह मालवीय ने माना।

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