धर्म-अध्यात्म

भक्तिभाव: श्रीराम कथा में कथावाचक ने बताया हनुमानजी न होते तो जगत में रामकथा भी नहीं होती

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सिरोल्या (अमर चौधरी)। हमारी संस्कृति ही हमारी धरोहर है। हमारे कर्मों से ही हमारी पहचान एवं सुंदरता दिखाई देगी। ये विचार ग्राम सिरोल्या में अम्बे माता चौक में आयोजित श्रीराम कथा में कथावाचक पं पवन पांडे ने श्रद्धालुओं को कहें। उन्होंने रविवार को सीता हरण, जटायु को सद्गति, किष्किन्धा कांड तथा सुंदरकांड की कथा के दौरान लंका दहन तथा हनुमानजी के पराक्रम व भक्ति का सुन्दर वर्णन किया।

पं पांडे ने कहा कि भगवान श्रीराम सीता की खोज में व्यथित होकर वन में भटकते हैं। जब बुराई रावण भक्ति सीता का अपहरण करता है तो भगवान श्रीराम को व्यथित कर देती है। भगवान आगे बढ़ते हैं और घायल जटायु से रावण द्वारा सीता हरण का समाचार पाकर उसका अंतिम संस्कार करते हैं। कथावाचक ने आगे कहा कि यदि हनुमानजी न होते तो जगत में रामकथा भी नहीं होती, जिन्हें भी भगवान के दर्शन हुए हनुमान की कृपा से हुए। चाहे वानर हो, सुग्रीव हो, विभीषण हो अथवा जानकी।

यदि हनुमान से हमारा संबंध स्थापित हो गया तो किसी अन्य देव की जरूरत ही नहीं। जिस काम को ब्रह्मा, विष्णु, महेश नहीं कर सकते उसे संकटमोचन हनुमानजी ने पूरा कर दिखाया है। जब मौका मिलें, तब कथा सुनो और भगवान का भजन करों। जिस मनुष्य की दृष्टि सुंदर है, उसे संपूर्ण सृष्टि में सब सुंदर दिखाई देते हैं। आज के समय में मनुष्य स्वयं की कमियां कम, दूसरे की कमियां ज्यादा ढूंढता है। हमें जब समय मिले प्रभु श्रीराम की भक्ति करना चाहिए। अंत में व्यासपीठ की महाआरती हुई एवं महाप्रसादी वितरित की गई।

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