धर्म-अध्यात्म

संतों का समाज चलता-फिरता प्रयागराज है‌- पं. पवन पांडे

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श्रीराम कथा में तीसरे दिन हुआ श्रीराम जन्मोत्सव

सिरोल्या (अमर चौधरी)। गंगा में स्नान करने से मन स्वच्छ एवं निर्मल होता है। लेकिन संतों का समाज चलता-फिरता प्रयागराज है‌। अगर इनका सत्संग मिल जाए तो मनुष्य के सारे कष्ट एवं दोष दूर हो जाते हैं।

ये विचार ग्राम सिरोल्या में अम्बे माता चौक परिसर में श्रीराम कथा के तीसरे दिन कथावाचक पं. पवन पांडे ने व्यासपीठ से श्रद्धालुओं के समक्ष व्यक्त किए। उन्होंने श्रद्धालुओं को भगवान श्रीराम का जन्म प्रसंग सुनाया। कहा कि भगवान का जन्म असुरों और पापियों का नाश करने के लिए हुआ था। भगवान राम ने बाल्यावस्था से ही असुरों का नाश किया।

उन्होंने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का जीवन चरित्र अनंत सदियों तक चलता रहेगा। श्रीराम कथा में पिता के प्रति, मां के प्रति और भाई के प्रति प्रभु राम का जो स्नेह प्रेम रहा सदा-सदा के लिए वह अमर है। राजा दशरथ के संतान न होने के कारण अपने कुलगुरु वशिष्ठ के पास जाते हैं। जहां वशिष्ठ द्वारा श्रृंगी ऋषि से शुभ पुत्र कामेष्टि यज्ञ करवाते है। यज्ञ कुंड से अग्नि देवता का प्रकट होकर राजा दशरथ को खीर प्रदान करते हैं। जिसके बाद राजा दशरथ द्वारा तीनों रानियों कौशल्या, कैकई और सुमित्रा को खीर देते हैं। उस खीर के खाने से तीनों रानियों को भगवान राम सहित भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म होता है।

आज के इस कलयुग में विश्वास नाम का कुछ नहीं बचा है। अगर व्यक्ति दूसरे पर विश्वास करता है तो उसे धोखा मिलता है। आज के समय में व्यक्ति लोभ-लालच में फंसा हुआ है‌। भक्ति कम एवं लालच अधिक करता है। इसलिए दु:खी ज्यादा रहता है‌। मंगलवार को राम जन्मोत्सव मनाया गया। जन्म होते ही पांडाल में प्रभु श्रीराम के जयकारों से गूंज उठा।

कथावाचक ने भजन गाया… राम कहानी, सुनो रे राम कहानी श्रीराम जयराम जयजयराम… सियाराम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में…जैसे भजनों पर महिलाएं भाव-विभोर होकर नृत्य करने लगी। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे। अंत में व्यासपीठ की महाआरती हुई एवं महाप्रसादी वितरित की गई।

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