जूनियर इंजीनियरों ने की आवाज बुलंद

– इंदौर, भोपाल व जबलपुर मुख्यालयों पर किया ध्यानाकर्षण प्रदर्शन
– बिजली कंपनियों की नीति पर जताई नाराजगी, पदोन्नति व वेतन विसंगति जैसे मुद्दों पर प्रदर्शन
इंदौर। प्रदेश की छह विद्युत कंपनियों में कार्यरत लगभग 3000 जूनियर इंजीनियरों ने रविवार को इंदौर, भोपाल व जबलपुर में एकजुट होकर ध्यानाकर्षण प्रदर्शन किया। इस प्रदेशव्यापी आंदोलन का मकसद था अपनी सात सूत्रीय मांगों को लेकर ऊर्जा मंत्री व मुख्यमंत्री का ध्यान आकर्षित करना।
प्रदेश के विभिन्न संभागों से आए जूनियर इंजीनियरों ने इंदौर के पोलोग्राउंड स्थित बिजली मुख्यालय, भोपाल एवं जबलपुर के शक्ति भवन पर जुटकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया।
सेवा 30 साल की, पदोन्नति एक भी नहीं-
संघ के प्रांतीय महासचिव इंजी. जीके वैष्णव ने बताया, कि बिजली कंपनियों की दोहरी पदोन्नति नीति के चलते जूनियर इंजीनियरों को 30-35 वर्षों की सेवा के बावजूद एक भी पदोन्नति नहीं दी जा रही है। वहीं, भर्ती सहायक यंत्रियों को मात्र कुछ वर्षों में चार-चार पदोन्नतियां देकर कार्यपालन निदेशक तक बनाया जा रहा है।
👉 सात सूत्रीय प्रमुख मांगें:
1. जूनियर इंजीनियरों को पदोन्नति के लिए स्पष्ट नीति बनाई जाए।
2. रिक्त पदों पर शत-प्रतिशत पदोन्नति कनिष्ठ यंत्रियों से की जाए।
3. बोर्ड कैडर के वरिष्ठ जेई को कार्यपालन यंत्री के पद पर पदोन्नति मिले।
4. चतुर्थ वेतनमान की विसंगति दूर कर कंडिका 11 समाप्त की जाए।
5. 2018 के बाद नियुक्त जेई को समान वेतनमान व ग्रेड पे 4100 रुपए दिया जाए।
6. संविदा पर कार्यरत कनिष्ठ यंत्रियों को नियमित किया जाए।
7. ड्यूटी के दौरान दुर्घटनाओं में एफआईआर दर्ज करने पर रोक लगे।
👉 प्रदेशभर में दिखा एकजुटता का असर-
इंदौर-उज्जैन संभाग के इंजीनियरों ने पोलोग्राउंड मुख्यालय पर प्रदर्शन किया।
भोपाल एवं ग्वालियर संभाग के इंजीनियरों ने विधि सचिव इंजी. केके आर्य के नेतृत्व में भोपाल में प्रदर्शन किया।
जबलपुर, रीवा, शहडोल, सागर व उत्पादन कंपनी के जूनियर इंजीनियर शक्ति भवन गेट, जबलपुर पर संघ अध्यक्ष डीके चतुर्वेदी व वरिष्ठ उपाध्यक्ष अशोक जैन के नेतृत्व में एकत्रित हुए।
केवल हक की मांग, कोई आर्थिक बोझ नहीं-
प्रदर्शन में शामिल इंजीनियरों ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी सभी मांगें गैर-आर्थिक हैं, जिनका राज्य सरकार पर वित्तीय भार नहीं पड़ेगा। फिर भी उन्हें लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है।
ऊर्जा विभाग की चुप्पी पर उठे सवाल-
संघ पदाधिकारियों ने चेतावनी दी कि यदि जल्द ही सकारात्मक निर्णय नहीं लिया गया, तो आंदोलन को और अधिक उग्र किया जाएगा। मुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री से जल्द वार्ता कर नीतिगत समाधान की अपेक्षा जताई गई है।
बिजली कर्मचारियों की यह लड़ाई केवल वेतन या भत्तों की नहीं, सम्मानजनक पदोन्नति, सेवा सुरक्षा और न्यायपूर्ण कार्यसंस्कृति की है। ऊर्जा व्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले जूनियर इंजीनियरों की उपेक्षा, भविष्य में विभाग के लिए भी चुनौतियां खड़ी कर सकती है।



