– राम नाम की महिमा से गुंजायमान हुआ वातावरण
– हनुमान मंदिर में अभिषेक के साथ श्रीराम कथा का शुभारंभ
बेहरी। शांति, श्रद्धा और आस्था के अनुपम संगम से सराबोर शनिवार का दिन गांव में एक ऐतिहासिक और पुण्य अवसर का साक्षी बना। खेड़ापति हनुमान मंदिर प्रांगण में श्रीराम कथा के प्रथम दिवस का शुभारंभ हुआ, जिसकी शुरुआत प्रभु श्री हनुमान जी के अभिषेक से की गई। पं. सुरेशचंद्र उपाध्याय, हरि उपाध्याय व राजेंद्र उपाध्याय द्वारा विधिविधान से हनुमान जी का अभिषेक किया गया।
इससे पूर्व श्रीराम कथा समिति की ओर से पूरे भक्तिभाव के साथ जल कलश यात्रा निकाली गई। ढोल-नगाड़ों की गूंज और जय श्रीराम के जयघोषों के बीच, श्रीराम कथा की पावन पोथी को पूरे गांव में भ्रमण कराया गया। श्रद्धालु पुरुष और महिलाएं उत्साहपूर्वक इस यात्रा में सम्मिलित हुए और सम्पूर्ण वातावरण भक्तिरस में सराबोर हो गया।
कथा के प्रथम दिन कथा शास्त्री पंडित धनंजय पांडे महाराज ने अपने ओजस्वी और भावविभोर कर देने वाले वचनों में राम नाम की अविनाशी महिमा का दिव्य वर्णन करते हुए कहा, कि यह सृष्टि बदल सकती है, काल चक्र घूम सकता है, समय करवट बदल सकता है, परंतु राम नाम की सत्ता और महिमा अटल, अक्षुण्ण और सनातन है। राम नाम केवल अक्षरों का संयोग नहीं, यह ब्रह्माण्ड की चेतना है, प्राणियों का आधार है।
पंडित जी ने श्रीराम नाम की अपरंपार महिमा का बखान करते हुए कहा, राम से बड़ा राम का नाम यह स्वयं प्रभु श्रीराम की वाणी है। राम नाम वह मंत्र है जिसे स्वयं महादेव भगवान शंकर हर प्रहर जपते हैं। यह नाम स्वयं जीवन का स्तंभ है, आनंद का स्रोत है, मोक्ष का मार्ग है।
उन्होंने आगे कहा कि राम नाम की उपस्थिति हमारे जीवन के हर क्षण में अनुभव की जा सकती है जन्म से लेकर मृत्यु तक। नवजात के कानों में राम नाम की गूंज होती है, विवाह की मंगल बेला में राम के गीत गाए जाते हैं और जब अंत समय आता है, तब भी राम नाम ही जीवन को अंतिम विदाई देता है।
पं. पांडे जी ने भावविभोर होकर कहा, कि राम केवल नाम नहीं, राम चेतना हैं, ब्रह्म हैं, शक्ति हैं। राम में शिव हैं और शिव में राम। राम वह सर्वमुक्त मंत्र हैं जो इस सम्पूर्ण सृष्टि को चलायमान बनाए हुए है।
कथा स्थल पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पुरुष और महिलाएं उपस्थित थे। सभी भक्तजन प्रभु श्रीराम की कथा के रस में डूबे, आंखें नम थीं और हृदय भाव-विभोर।