शिप्रा (राजेश बराना)। हरतालिका तीज व्रत हर्ष उल्लास के साथ मनाया गया। सैकड़ों महिलाओं ने इस व्रत को धारण किया।
कथा श्रवण कर आराध्य देव शिव की पूजा की गई। इस दौरान महिलाओं ने कठिन व्रत रखा और अनेक प्रकार की औषधीय पौधे की पत्तियों व मिट्टी से बनाए भगवान शंकर की पूजा अर्चना देर रात तक की।
लीलाबाई उपाध्याय ने बताया कि यह व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हस्त नक्षत्र के दिन होता है। यह करवाचौथ से भी कठिन माना जाता है, क्योंकि जहां करवाचौथ में चन्द्र देखने के उपरांत व्रत सम्पन्न कर दिया जाता है, वहीं इसमें पूरे दिन निर्जल व्रत किया जाता है और अगले दिन पूजन के पश्चात ही व्रत सम्पन्न किया जाता है।
इस व्रत से जुड़ी एक मान्यता यह है कि इस व्रत को करने वाली स्त्रियां पार्वती जी के समान ही सुखपूर्वक पतिरमण करके शिवलोक को जाती है। सुनीता मोदी ने बताया आज पं. प्रदीप मिश्रा के अनुसार महिलाओं और अविवाहित युवतियों ने भी मन्दिर में जाकर एक लोटा जल भरकर शिवजी का अभिषेक किया।
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