देवास। राम नाम चारों युगों से सुर गुरु के रूप में निरंतर आदि अनादि सत्य है। राम नाम कभी बदलता नहीं। होंठ व कंठ के बिना निरंतर गूंजता रहता है। यह सत्य आदि और अनादि है और समस्त देहधारी इसके उपासक हैं। यह सबको संभाले हुए हैं। जिसने जैसा जाना वैसा माना। भाषाएं बदलते हैं लोग लेकिन नाम सत्य है। जो सबकी सांसों में सुरगुरु के रूप में रम रहा है। जो रम रहा है वह नाममय है। वह शरीरमय नहीं है। नाम विदेही है वह दिखता नहीं है। केवल नाद में आवाज गूंज रही है सुहंग की।
यह विचार सद्गुरु मंगल नाम साहेब ने गुरुवाणी पाठ, गुरु-शिष्य चर्चा के दौरान चूना खदान बालगढ़ स्थित सदगुरु कबीर प्रार्थना स्थली पर व्यक्त किए। उन्होंने आगे कहा कि नाद श्वास से बोलता है। मुंह से नहीं बोल बोल जाता। इसे शब्द कहा गया है। राम नाम सत्य है यह नाम है जो वाणी से लिया जाता है। वह होंठ से नीचे वाणी से जुबान के साथ लिया जाता है। जो सांस चली जा रही, शरीर में अनहद नाद के रूप में प्रकट हो रही है। वह शरीर को पवित्र किए जा रही है। मुर्दे को उठाने वाले मनुष्य मात्र को जागृति प्रदान करते हुए राम नाम सत्य का उद्घोष किया जाता है। जिससे कि लोग जाग जाए। कोई भेदी ने ऐसा शब्द दे दिया संसार को की यह कहकर भी तो जागो।
उन्होंने कहा करनी बिन कथनी कथे अज्ञानी दिन रात। कुकर समान भूंकत फिरे, सुनी सुनाई बात। सुन लिया राम नाम सत्य कहते जा रहे हैं, लेकिन उसको सुनकर साध लो। कथनी छोड़ करनी करें तो विष से अमृत होय। इस राम नाम सत्य को सांस के साथ अपना लो। अपनी ध्यान और चेतन में लगा लो तो आप भी पवित्र और अजर अमर हो जाओगे।
इस दौरान साध संगत द्वारा सद्गुरु मंगल नाम साहेब का पुष्पमाला से सम्मान कर श्रीफल भेंट किया। यह जानकारी सेवक राजेंद्र चौहान ने दी।
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