सद्गुरु-साधु वही है, जो जड़ को भी चैतन्य कर दे- सद्गुरु मंगलनाम साहेब

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देवास। साहेब कबीर चारों युगों से अखंड और चैतन्य है, बाकि सब दुर्घटनाओं में घटित हो रहे हैं। करोड़ों साल पहले लिख दिया था कि नर-वानर के साथ श्रीराम रावण का वध करेंगे और उसका वध हुआ भी। ये जड़ है, चैतन्य नहीं है। ये बच नहीं सकते दुर्घटनाओं से।

यह विचार सद्गुरु मंगलनाम साहब ने सदगुरु कबीर प्रार्थना स्थली मंगल मार्ग टेकरी द्वारा आयोजित चौका आरती, गुरुवाणी पाठ, गुरु शिष्य चर्चा में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कबीर डोंगल नाम की घास है, जो पर्वत को काट कर नदी में बहा देती है, लेकिन कबीर रूपी डूंगला चारों युगों से अखंड खड़ा है। चारों युगों से आज तक कोई कुछ नहीं बिगाड़ सका।

साहेब ने कहा, कि वह अविगत है, जो गति में नहीं आता और हम गति में आ रहे हैं कि इतनी बजकर इतने मिनट पर सूर्योदय होगा, मकर संक्रांति होगी, कर्क संक्रांति होगी। यह सब जड़ है। जड़ के बंधन में बंधे हुए हैं सब। यह अपनी इच्छाओं से कुछ नहीं कर सकते। करोड़ों साल पहले लिख दिया कि इतने बजकर मिनट पर चंद्र ग्रहण, सूर्य ग्रहण होगा क्योंकि वह जड़ है, लेकिन चैतन्य उस स्थिति को बदल देता है। चैतन्य हर वक्त सावधान है। वह अविगत है। किसी गतियाें में बहने वाला नहीं है।

सद्गुरु कबीर साहेब कहते हैं, कि अविगत से हम चले आए तो सही, पर हमारी गति नहीं। गति में चलने वालों को नापा गया है। सांसारिक जगत में जो बंधन है, उसमें हम सब बंधे हुए हैं। लेकिन चैतन्य पुरुष हमेशा सावधान होकर सब पर दया, प्रेम और विश्वास में बहने वाला है। जो जड़ को भी चैतन्य कर देता है। उसकी छाया मात्र से सब चैतन्य हो जाते हैं। अगर वह हट जाए तो सब जड़ हो जाए।

उन्होंने आगे कहा कि आज जड़ और चैतन्य में मिलावट हो गई है। शब्द को जानकर उसकी पहचान करो कि यह किसका शब्द है। वही शब्द नकलची कहते हैं और वही शब्द साधु कहते हैं। सुनी सुनाई बात कर लोग साधु बन रहे हैं। सद्गुरु, साधु वही है जो जड़ को भी चैतन्य कर दे। अगर वह हट जाए तो चैतन्य भी जड़ हो जाता है।

कार्यक्रम पश्चात महाप्रसाद का वितरण किया गया। सैकड़ों साध-संगत ने महाप्रसाद ग्रहण कर धर्म लाभ लिया। यह जानकारी सेवक वीरेंद्र चौहान ने दी।

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