धर्म-अध्यात्म

जिसने उपासना नहीं की, वह जीते हुए भी मुर्दे के समान है: कृष्णदास महाराज

देवास। भगवान ने गिरिराजजी की पूजा के माध्यम से सभी को एक ही रास्ता दिखाया है कर्म का। राजा परीक्षित ने भी एक ही प्रश्न किया था, शुकदेव मुनि से, कि गुरुजी आप बताइए, किसे पूजे और किसे छोड़ दें। शुकदेव महामुनि कहते हैं राजा परीक्षित! अगर आपको बल चाहिए तो बाबा हनुमानजी महाराज को बोलिएं। अगर आपको मोहिनी रूप चाहे तो कामदेव की पूजा कीजिए और अगर आपको धन, वैभव, संपदा चाहिए तो माता चामुंडा महारानी की उपासना कीजिएं। माता जगदंबा सबकुछ देने में समर्पित है और कुछ भी नहीं चाहिए तो हमारे बांके बिहारी की उपासना कीजिएं, क्योंकि मनुष्य शरीर उपासना के लिए मिला है। जिसने उपासना नहीं की वह जीते हुए भी एक मुर्दे के समान है।

यह विचार मेंढकीचक में महिला मंडल द्वारा तालाब के पास स्थित शिव मंदिर परिसर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में व्यासपीठ से कृष्णदास महाराज वृंदावनधाम वाले ने व्यक्त किए। उन्होंने आगे कहा, कि कली काल जो है, भ्रमित करने वाला है। सनातन धर्म कहता है कि हमें सावधान रहना है, क्योंकि कली काल में सब कुछ काम है। सतयुग में जो व्यक्ति की आयु होती थी, वह एक लाख वर्ष थी। एक मनुष्य एक लाख वर्ष तक जीता था। सतयुग में अन्य कोई धर्म नहीं था, मात्र एक ही धर्म था सनातन धर्म। महाराजश्री ने कहा, कि फिर कली काल आया तो सबको भ्रमित करने के लिए धर्म को बांट दिया गया। हम लोग अलग-अलग धर्मों में बंट गए। आज के समय में एक धर्म अनेक धर्मों में बंट गया। इसी धर्म को स्थापित करने के लिए द्वापर युग में भगवान ने अवतार लिया।

उल्लेखनीय है, कि कृष्णदास महाराज ने 108 कथा का संकल्प लिया है, जिसमें जिसमें 41 कथा अब तक हो चुकी है। कथा में शुक्रवार को श्रीकृष्ण-रुक्मिणि विवाह धूमधाम के साथ मनाया गया। वरमाला ढोल-धमाके के साथ हुई। महिलाओं ने मंगल गीत गाकर पुष्पवर्षा की। महाराजश्री ने मंत्रोच्चार के साथ विवाह संपन्न कराया। कृष्ण के रूप में प्रिया तो रुक्मणी के रूप में पायल ने मनमोहक प्रस्तुति दी। इस दौरान कृष्णदास महाराज ने लगन हरी से लगा बैठे जो होगा देखा जाएगा ….जैसे एक से बढ़कर एक भक्ति गीतों की संगीतमय प्रस्तुति दी तो श्रद्धालु झूमने लगे। आयोजक महिला मंडल की सौरमबाई मालवीय, रेणुका सोलंकी, भारती राठौर, जानीबाई सोलंकी, समाजसेवी आयुष राठौर, रामचंद्र राठौर, राजेश सिन्नम, राजेश बाघेला ने व्यासपीठ की पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद लिया। सैकड़ों धर्मप्रेमियों ने कथा श्रवण कर धर्म लाभ लिया।

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