धर्म-अध्यात्म

सत्य नाम सांसारिक जीवन में मुक्ति का सहज मार्ग- सद्गुरु मंगल नाम साहेब

देवास। सत्य नाम का सुमिरण करने से सांसारिक बंधनों से मुक्त हो जाते हैं। सत्य नाम इस सांसारिक जीवन में मुक्ति का सहज मार्ग है। सत्य नाम की महिमा का वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता सिर्फ अनुभव किया जा सकता है। सत्यनाम अनुभव और अनुभूति का विषय है। श्वास सत्य है, बाकी शरीर, कपड़े, पद, प्रतिष्ठा सब झूठ है जो बार-बार बदल रहे हैं। यदि सत्य होता तो इनको बदलना क्यों पड़ता।

यह विचार सद्गुरु मंगल नाम साहेब ने प्रताप नगर सद्गुरु कबीर प्रार्थना स्थली पर मंगलवार को गुरु-शिष्य चर्चा, गुरुवाणी पाठ में व्यक्त किए। उन्होंने कहा, कि जो शाश्वत सत्य है, वह विदेही हैं। जिसकी देह नहीं है। श्वास पुरुष है और यह शरीर रूपी नारियां बार-बार कपड़े बदल बदलकर के साहब को रिझाना चाहती है। साहब ने कहा, कि ठगनी तेरे हाथ कबीर नी आवे। यह नकली वेशभूषा, नकली चौकीदारी, किसकी चौकीदारी सब तेरे और तू सबका कोई पराया नहीं। फिर किसकी चौकीदारी कर रहे हो। हाव, भाव रस भेद में दूसरे को रिझा रहे हैं। शरीर के सारे नखरे छोड़कर के श्वास के साथ हो जाओ, जिससे बार-बार के जीवन मरण से मुक्त होकर अजर अमर हो जाते हैं।
उन्होंने आगे कहा, कि श्वास पुरुष, नारी तन, शरीर सब नारी है। चाहे लड़की का हो या लड़के का शरीर। पुरुष श्वास है, जो विदेही है। जो देह से रहित है। जो देह धारण किया है, वह सब देवी है। चाहे लड़के का शरीर हो या लड़की का। जिसमें पांच तत्व, तीन गुण समाए हुए हैं। जो पुरुष है, श्वास है वह त्रिगुण से रहित है। त्रिगुण की भक्ति में भूल पड़ा संसार।

उन्होंने कहा, कि राजोगुण, तमोगुण और सतोगुण। रजोगुण के प्रधान ब्रह्मा है, तमोगुण के प्रधान शिव व सतोगुण के प्रधान भगवान विष्णु है। शरीर का अंकुरण होना रजोगुण है। पालन करना सतोगुण और नाश करना तमोगुण में आता है। यह तीन गुण प्रधान है। शरीर जब अंकुरित होता है तो वह रजोगुण, तमोगुण व सतोगुण की ही प्रधानता में होता है। इस दौरान साध संगत द्वारा सद्गुरु मंगल नाम साहेब का पुष्माला एवं नारियल भेंट कर सम्मान भी किया गया।

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