धर्म-अध्यात्म

हमारी विलासिता, भाेगवाद हमें ईश्वर का अनुभव नहीं होने देती- पूजा शर्मा

हाटपीपल्या (नरेंद्र ठाकुर)। पाटीदार धर्मशाला देहरिया साहू में श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा कथा में कथावाचक पूजा शर्मा ने कहा, कि आधुनिक चकाचौंध में ईश्वर को मत भूलिए। वैदिक संस्कृति के अनुसार नारी मां के रूप में बालक के लिए प्रथम गुरु है। मां ही अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देकर सभ्य नागरिक बनाती है। बेटे के साथ बेटी को भी खूब पढ़ाकर शिक्षित करें।

उन्होंने कहा कंस को मां भगवती से चेतावनी मिली पर उसकी अज्ञानता ने ईश्वर को नहीं स्वीकारा, फलस्वरूप उसका अंत हो गया। हमारी विलासिता, भोगवाद हमें ईश्वर का अनुभव नहीं होने देती। जब तक जीवन में सरलता व अच्छे विचार नहीं होंगे, तब तक आपका धन सुख अर्थहीन है।

पूजा शर्मा ने श्रीकृष्ण-रुक्मिणि विवाह प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा भले ही रुक्मिणिजी ने प्रेमविवाह किया, पर संस्कारों की मर्यादाओं के अधीन रहकर किया। परिवार में स्त्री ही संस्कारों की धुरी है, क्योंकि एक बेटी दो कुलों का उद्धार करती है। यदि बेटियां शिक्षित और जागरूक होंगी तो वे न केवल अपने परिवार को, बल्कि विवाह के बाद अपनी संतान को अच्छे संस्कार देंगी तथा ससुराल के लोगों को भी जागरूक करेंगी। आजकल पाश्चात्य सभ्यता देव संस्कृति पर हावी होती जा रही है, सभी पढ़-लिखकर आधुनिक तो बनना चाहते हैं, पर संस्कारित नहीं। कथा में श्रीकृष्ण-रुक्मिणि विवाह की सुंदर झांकी सजाई गई। श्रद्धालुओं ने उत्साह के साथ कन्यादान किया।

इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने भजनों पर नृत्य भी किया। आरती में विधायक मनोज चौधरी, भाजपा ग्रामीण मंडल अध्यक्ष देवकरण पाटीदार, कपिल तंवर सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

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