उज्जैन

उत्तर आधुनिकता की स्वच्छन्दता पर सवाल खड़े करता ‘रूप-राशि’ : बी.एल. आच्छा

संस्था गजलांजली एवं सरल काव्यांजलि के संयुक्त आयोजन में दिलीप जैन के चौथे उपन्यास का विमोचन
उज्जैन।
हिन्दी कथा साहित्य में अपने समय के समाजशास्त्र की धड़कनें देखी सुनी जा सकती हैं। दिलीप जैन के नए उपन्यास ‘रूप-राशि’ में ‘लिव इन रिलेशनशिप’ को केंद्रीय बनाया गया है। उपन्यासकार जैन ने धर्म जाति के विभेदों के कमतर होते जाने के जितने संकेत दिए हैं उतने ही इन बदलते रिश्तों में उत्तर आधुनिकता की स्वच्छन्दता पर भी सवाल खड़े किए हैं। यह उपन्यास रंजक, पठनीय होकर बदलते समाज और जीवन मूल्यों का संधान करता है।


उक्त उद्गार दिलीप जैन के चौथे उपन्यास ‘रूप-राशि’ के विमोचन अवसर पर चेन्नई से पधारे प्रो. बी.एल. आच्छा ने मुख्य अतिथि और चर्चाकार के रूप में व्यक्त किए। संस्था सरल काव्यांजलि के सचिव डॉ. संजय नागर ने बताया कि गजलांजली और सरल काव्यांजलि के संयुक्त तत्वावधान में राजीव पाहवा के निवास पर आयोजित इस कार्यक्रम में अध्यक्ष प्रसिद्ध चित्रकार, डॉ. श्रीकृष्ण जोशी ने दिलीप जैन को शुभकामनाएं देते हुए भविष्य में और अधिक लेखन की इच्छा व्यक्त की। विशेष अतिथि ख्यात मालवी कवि डॉ. शिव चौरसिया ने उज्जैन की उपन्यास परम्परा में आचार्य भगवतशरण उपाध्याय, शिव शर्मा, प्रमोद त्रिवेदी से लेकर दिलीप जैन तक को याद किया। विशेष अतिथि ख्यात लघुकथाकार सन्तोष सुपेकर ने कहा कि दिलीप जैन के सभी उपन्यासों में कथानक, चरित्र चित्रण, भाषा शैली, देशकाल पर पर्याप्त फोकस रहता है। दिलीप जैन ने अपने सम्बोधन में इस उपन्यास की पृष्ठभूमि पर चर्चा करते हुए इसके प्रणेता श्री आच्छा और डॉक्टर चौरसिया का धन्यवाद ज्ञापित किया।
प्रारम्भ में स्वागत भाषण के.एन. शर्मा ‘अकेला’ ने दिया। अतिथि स्वागत डॉक्टर पुष्पा चौरसिया, विजयसिंह गहलोत, विनोद काबरा, राजीव पाहवा, आशागंगा शिरढोणकर, मोहम्मद आरिफ, राजेन्द्र देवधरे ‘दर्पण’, डॉक्टर मोहन बैरागी और अशोक जैन ने किया। संचालन डॉक्टर विजय सुखवानी ने किया। आभार नितिन पोल ने माना। श्री जैन ने अतिथियों को स्मृति चिन्ह प्रदान किए।
इस अवसर पर डॉक्टर वन्दना गुप्ता, प्रदीप ‘सरल’, से.नि. मजिस्ट्रेट द्वय पुरुषोत्तम भट्ट, श्रीमती मीना भट्ट, आर.पी. तिवारी, अशोक रक्ताले, संजय जौहरी, राजेन्द्र नागर ‘निरन्तर’, डॉ. महेश कानूनगो, डॉ. किशोर सोनी, सत्यनारायण नाटानी आदि उपस्थित थे।

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