देवास। पाला रबी के मौसम में किसानों की एक प्रमुख समस्या होती है। इस मौसम में तापमान कम होने के साथ-साथ जैसे ही ठंड बढ़ती है और तापमान कम होते-होते जमाव बिन्दू तक आ जाता है, जिससे वातावरण में पाले की स्थिति बनने लगती है। पाला पड़ने की संभावना उस रात में ज्यादा रहती है, जब दिन के समय ठंड अत्यधिक हो परन्तु आकाश साफ हो। भूमि के निकट का तापमान शून्य डिग्री सेन्टीग्रेड अथवा और भी कम हो। शाम के समय हवा अचानक रूक जाएं एवं हवा में नमी की अत्यधिक कमी हो।
कृषि उप संचालक आरपी कनेरिया ने बताया कि यदि पाला पड़ने की संभावना हो या मौसम विभाग ने पाला पड़ने की चेतावनी दी हो, तो फसलों में हल्की सिंचाई करना चाहिए, जिससे खेत के तापमान में 0.5 से 2 डिग्री से.ग्रे. तक वृद्धि हो जाती है। जिस रात्रि में पाला पड़ने की संभावना हो उस समय खेत की पश्चिमी मेड़ों पर करीब आधी रात को घास-फूंस इकत्रित कर जलाएं, जिससे धुंआ सारे खेत में छा जाएगा। यह प्रक्रिया खेत के कई स्थानों पर करें, जिससे तापमान में वृद्धि होगी। पाले के समय रस्सी का उपयोग करना काफी प्रभावी रहता है। इसके लिए दो व्यक्ति सुबह के समय (भोर में) एक रस्सी को उसके दोनों सिरों को पकड़कर खेत के एक कोने से दूसरे कोने तक फसल को हिलाने से फसल पर पड़ी हुई ओंस नीचे गिर जाती है एवं फसल सुरक्षित रहती है। फसलों को पाले से बचाने के लिए खेत के उत्तर पश्चिम मेड़ पर तथा बीच-बीच में वायुरोधक पेड़ जैसे शीशम, बबूल, जामुन, शहतूत तथा आम के पौधे लगाना चाहिए। पाला पड़ने की संभावना होने पर 2 प्रतिशत यूरिया का छिड़काव किया जाए तो पाले का प्रभाव कम होगा, क्योंकि यूरिया के छिड़काव से कोशिकाओं में पानी आने जाने की क्षमता बढ़ जाती है।
उपाय: पाले व शीतलहर से इस प्रकार करें फसलों की सुरक्षा, कृषि विभाग ने किसानों को दी सलाह
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