इंदौर-बुधनी रेलवे लाइन से प्रभावित महिला किसानों ने भोपाल में शिवराजसिंह चौहान से की मुलाकात

बाजार मूल्य से चार गुना मुआवजा और रूट परिवर्तन की उठाई मांग
इंदौर/देवास। इंदौर-बुधनी रेलवे परियोजना, जो राज्य के कई जिलों से होकर गुजर रही है, अब हजारों किसानों के लिए संकट का कारण बनती जा रही है। इस परियोजना के तहत बड़े पैमाने पर किसानों की उपजाऊ कृषि भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है।
इससे आक्रोशित महिला किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराजसिंह चौहान से भोपाल में उनके निवास पर मिला और अपनी मांगों को लेकर खुलकर बात की।
प्रतिनिधिमंडल में शामिल अधिकांश महिलाएं खुद शिवराज सिंह चौहान के संसदीय क्षेत्र खासकर खातेगांव और बुधनी विधानसभा क्षेत्रों से थीं। महिलाओं ने शिवराज सिंह से कहा, मामा, आप हमें अपनी बहन मानते हो, लेकिन बहनों की जमीन कौड़ियों के भाव छीनी जा रही है। हमारे परिवारों की आजीविका पर संकट आ गया है।
‘इंदौर-बुधनी रेलवे लाइन संघर्ष समिति’ के संयोजक हंसराज मंडलोई ने प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि किसानों के इस आंदोलन में देवास, इंदौर और सीहोर जिले के किसान सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं। समिति का कहना है कि सरकार और रेलवे विभाग ने किसानों से समुचित संवाद किए बिना भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी, और उन्हें उचित मुआवज़ा की गारंटी नहीं दी गई।
महिला किसानों ने अपनी पीड़ा साझा करते हुए मांग की कि या तो रेलवे लाइन का रूट धनतालाब घाट तक बदलकर सरकारी वनों या अनुपयोगी जमीन से निकाला जाए, अथवा तलवार घाट से धनतालाब घाट तक लाइन को पिलर पर बनाकर निकाला जाए ताकि किसानों की जमीन की बलि न चढ़े।
इस पर जवाब देते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कहा आपका भाई शिवराज मामा अब भी आपके साथ है। जब तक मैं जिंदा हूं, आपके साथ अन्याय नहीं होने दूंगा।
मुख्य मांगें-
– रेलवे लाइन का रूट परिवर्तन कर सरकारी और वन भूमि से निकाला जाए।
– यदि रूट परिवर्तन संभव न हो, तो पिलर पर रेल लाइन निर्माण का विकल्प अपनाया जाए।
– भूमि अधिग्रहण पर किसानों को बाजार मूल्य से चार गुना मुआवजा दिया जाए।
– मुआवज़े की राशि पिछले 15 वर्षों की गाइडलाइन के अनुसार प्रत्येक वर्ष 20% की वृद्धि के साथ तय की जाए।
प्रभावित लोकसभा क्षेत्र-
यह रेलवे परियोजना इंदौर, देवास, खंडवा और विदिशा लोकसभा क्षेत्रों से होकर गुजरती है। इसका सीधा असर इन क्षेत्रों के किसानों पर पड़ रहा है, जहां कृषि भूमि जीवन यापन का एकमात्र स्रोत है।
किसानों की पीड़ा-
किसान नेता हंसराज मंडलोई का कहना है रेलवे जैसी राष्ट्रीय स्तर की परियोजनाएं विकास के लिए आवश्यक हैं, लेकिन यदि इसमें स्थानीय लोगों के हितों की अनदेखी हो, तो यह अनुचित है। सरकार और रेलवे विभाग को चाहिए कि वह किसानों की मांगों पर गंभीरता से विचार करें।



