दशकों बाद नौतपा की बारिश ने दिखाया रौद्र रूप, नदी-नाले उफान पर, जनजीवन अस्त-व्यस्त

बेहरी (हीरालाल गोस्वामी)। नौतपा के पहले ही चरण में मौसम ने अपनी परंपरा को तोड़ते हुए इस वर्ष रौद्र रूप धारण कर लिया।
27 मई की रात करीब 11 बजे से शुरू हुई प्री-मानसून की भारी बारिश ने क्षेत्र के जनजीवन को गहराई से प्रभावित किया। गर्जना और तेज हवाओं के साथ करीब पांच घंटे तक चली इस बारिश ने बेहरी सहित रामपुरा, मालीपुरा, गुवाड़ी जैसे गांवों को जलमग्न कर दिया। छोटे-बड़े सभी नदी-नाले उफान पर आ गए, जिससे कई क्षेत्रों का आपसी संपर्क रात 3 बजे से सुबह 6 बजे तक पूरी तरह कटा रहा।
बारिश की तीव्रता का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि किसान सुबह खेतों तक नहीं पहुंच सके। गुनेरी नदी पर बना रपटा पूरी तरह जलमग्न हो गया, जिससे ग्रामीणों को खेत जाने में खासी दिक्कतें आईं। सुबह 8 से 9 बजे के बीच कुछ किसान खेतों पर पहुंचे, लेकिन तब तक डेयरी का दूध ले जाने का समय निकल चुका था। डेयरी संचालक संतोष प्रजापत ने जानकारी दी कि बारिश के कारण लगभग 100 से 200 लीटर दूध समय पर नहीं पहुंच पाया।
किसानों की बढ़ी चिंता, खेत नहीं हो पाए तैयार-
वरिष्ठ किसान एवं पूर्व जनपद सदस्य नाथू सिंह सेठ, भागीरथ पटेल, भोजराज दांगी और महेंद्र दांगी ने बताया, कि ऐसी बारिश रोहिणी नक्षत्र में वर्षों बाद देखी गई है। क्षेत्र में करीब 60 प्रतिशत किसानों के खेत अभी तक बुआई के लिए तैयार नहीं हो पाए हैं। इस स्थिति में खरीफ फसल की बुआई में देरी और उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका है।
पूर्व सरपंच रामचंद्र दांगी और किसान जुगल पाटीदार ने कहा कि जमीन अब पूरी तरह ठंडी हो चुकी है, जिससे बुआई की प्रक्रिया बाधित होगी। हालांकि कुछ किसानों का यह भी मत है कि इस बारिश से खरपतवार नष्ट हो जाएंगे, जो फसल की दृष्टि से लाभकारी हो सकता है।

पशुपालकों को भी हुआ नुकसान-
पशुपालक श्रीराम पाटीदार और पवन पाटीदार ने बताया कि इस समय की असामयिक और तेज बारिश के कारण खेतों में रखा मवेशियों के लिए चारा (घास-फूस) पूरी तरह भीग गया और खराब हो गया। इससे आने वाले दिनों में मवेशियों को खिलाने की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
रातभर नहीं सो सके कई परिवार, अनाज व सामान हुआ खराब-
निचली बस्तियों में जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो गई, जिससे कई परिवारों को रातभर नींद नहीं आई। लोग घर में रखा सामान बचाने के लिए पूरी रात जागते रहे। कई घरों में रखा अनाज और अन्य खाद्य सामग्री बारिश के पानी में भीगकर खराब हो गई।



