हमारा लक्ष्य भगवान को प्रसन्न करना हो, खुद सम्मान पाने का नहीं- आचार्य अनिल शर्मा

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Bhagvat katha

मैंने लाखों के बोल सहे सांवरिया तेरे लिए… भक्ति गीत पर श्रद्धालु झूम उठे

देवास। कई बार हमारे मन में विचार आता है कि लोग क्या कहेंगे यह सोचकर हमारा मन डगमगा जाता है। ऐसे में क्या धर्म का काम बंद कर दें। ऐसे अनेकों-अनेक सवाल आपके मन में खड़े होते होंगे, लेकिन आप हमेशा मन में विचार करना कि कोई सुधरे या ना सुधरे, चाहे कोई कुछ भी कहे पर हमें भगवान की भक्ति में, भगवान के कार्य में, धर्म के मार्ग में लगे रहना है।

यह विचार मक्सी रोड बजरंगबली नगर स्थित हनुमंतेश्वर महादेव मंदिर में नानीबाई मायरे के समापन अवसर पर जगतगुरु स्वामी रामभद्राचार्यजी के शिष्य आचार्य अनिल शर्मा आसेर वाले ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा आपका लक्ष्य खुद सम्मान पाना न हो, आपका लक्ष्य भगवान का काम करना है। भगवान को प्रसन्न करना है। जिस समय हमारा लक्ष्य भगवान को प्रसन्न करना हो जाएगा उस दिन लोगों की बात का असर हम पर नहीं पड़ेगा। असर कब होगा कि हम सोचे कि हमारा नाम हो। जो मानव भगवान के कार्य में लगा हो, तो भगवान किसी का कर्ज नहीं रखते वे जरूर भुगतान कर देते हैं। भगवान पर जो सच्चे मन से आस्था रखता है उसके काम भगवान जरूर सिद्ध करते हैं।

इस दौरान आचार्य शर्मा ने मैंने लाखों के बोल सहे सांवरिया तेरे लिए… जैसे एक से बढ़कर एक संगीतमय भक्ति गीतों का ऐसा समा बांधा की श्रद्धालु झूम उठे। अतिथियों द्वारा व्यासपीठ की पूजा अर्चना कर महाआरती की गई। सैकड़ों श्रद्धालुओं ने नानीबाई मायरे में शामिल होकर धर्म लाभ लिया।

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