जिस मानव जीभ से ईश्वर का स्मरण न हो वह जीभ सिर्फ चमड़े का टुकड़ा ही है- पं. सत्यदेव शर्मा

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– प्रतिदिन हजारों लोग कर रहे हैं श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ मंडप की परिक्रमा

देवास। साकेतवासी महामंडलेश्वर गरुड़ दासजी महाराज के शिष्य कृष्ण गोपालदास महाराज पंचमुखी धाम आगरोद, दामोदरानंद महाराज, मनमोहनदासजी भिंड, भरतदास महाराज बालाजी धाम रुणिजा के सानिध्य में मालीपुरा स्थित ज्योतिबा फुले चौराहे के पास 11 कुंडीय श्रीलक्ष्मी नारायण महायज्ञ का दिव्य आयोजन हो रहा है।

काशी के विद्वान आचार्य पं. पुष्कर पांडे एवं सहयोगी आचार्य द्वारा यज्ञ संपादित हो रहा है। आयोजक मंडल के वासुदेव परमार व राहुल हरोड़े ने बताया कि इस दिव्य महायज्ञ में यजमान प्रितम गोयल, देवेंद्र पड़ियार, हेमंत बोडाना, वीरेंद्र चौहान, कार्तिक बारोड़, मंयक सोनी, धीरज सोलंकी, नीतेश नवगोत्री, सुमेर प्रजापति, शक्ति डाबी, आशीष सोलंकी, रामचंद्र पड़ियार, राधेश्याम पड़ियार, राहुल माली, तेजनारायण पड़ियार, खुशाल हरोड़े, यश जाधव सहित 29 जोड़े सपत्नीक इस महायज्ञ में प्रतिदिन आहुतियां प्रदान कर रहे हैं।

मालीपुरा में बह रही धर्म की ज्ञान गंगा में डुबकी लगाकर प्रतिदिन हजारों लोग इस महायज्ञ मंडप की परिक्रमा कर धर्म लाभ ले रहे हैं। महायज्ञ के बाद श्री लक्ष्मी नारायण भगवान की संत महात्माओं-यजमानों द्वारा महाआरती की गई। महाआरती के बाद शाम 7:30 बजे से महू के शर्मा बंधुओं द्वारा नानीबाई के मायरे की संगीतमय प्रस्तुति दी गई।

नानीबाई मायरे में अपने विचार प्रकट करते हुए पं. सत्यदेव शर्मा ने कहा कि ईश्वर का स्मरण, कीर्तन जिस मुख से जागते, उठते, बैठते, अपने दैनिक कर्म के बाद भी समय निकालकर निकाले वही भगवान का सच्चा भक्त होता है। ऐसे भक्त पर भगवान अवश्य कृपा करते हैं। वही जीव इस सांसारिक जीवन में, जगत में सुखी रह सकता है, जो जन्म से संस्कारी है और यह जबान अगर भगवान का भजन करे तो इसका नाम रचना और ईश्वर भक्ति नहीं करे तो यह चमड़े का टुकड़ा है। किसी काम का नहीं। नानीबाई का मायरे का संचालन वासुदेव परमार ने किया। आभार राहुल हरोड़े ने माना। कार्यक्रम के पश्चात महाप्रसादी का वितरण किया गया। इसमें सैकड़ों लोगों ने महाप्रसादी ग्रहण कर धर्म लाभ लिया।

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