देवास। जिसको परमात्मा की भक्ति का नशा चढ़ गया हो उसे फिर संसार तुच्छ लगने लगता हैं। भक्ति का नशा अंत समय तक नहीं उतरता। परमात्मा के प्रति सच्ची श्रद्धा और भक्ति मोक्ष के द्वार तक ले जाती है।
यह विचार बड़ा बाजार स्थित रामी गुजराती माली समाज के रामकृष्ण मंदिर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन पं. अजय शास्त्री सिया वाले ने व्यक्त किए। उन्होंने आगे कहा कि भगवान भोलेनाथ श्री कृष्ण के दर्शन को गए तो माता यशोदा से कहा कि मैया मुझे गोविंद के दर्शन करा दो। मैय्या यशोदा ने देखा कि बाबा के बड़े-बड़े बाल है, हाथ में डमरू है। मैया बोली कि कहीं मेरे छोटे से लल्ला को नजर ना लग जाए और दरवाजा बंद कर लिया।

भोले बाबा ने सोचा कि चलो अच्छी बात में भी यही समाधी लगाकर बैठ जाता हूं। अखंड समाधी लगाकर बैठ गए। भगवान गोविंद पालने में सो रहे थे। उनको रोना तो याद था नहीं। रोने के बजाय ॐ ॐ का उच्चारण शुरू कर दिया। पालने में सोए हुए लल्ला की आवाज सुनकर मैय्या दौड़ी चली आती है। इसी प्रकार जो मानव संसार में अभी तक सोया हुआ है, एक बार सच्चे मन से भगवान को पुकारता है तो जैसे मां अपने बच्चे की आवाज सुनकर आती है वैसे ही परमात्मा भक्तों की पुकार सुनकर आ जाते हैं। इस दौरान पं. शास्त्री ने भक्ति गीत की की नजरा लागी रे, आज म्हारा कानूड़ा ने कई हुई ग्यो… भक्ति गीत की सुमधुर प्रस्तुति दी। कथा आयोजन समिति ने व्यासपीठ की पूजा-अर्चना कर महाआरती की। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने कथा श्रवण कर धर्म लाभ लिया।





