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Elephant Death | हर्पिवस बिमारी से हुई थी हथनी के बच्चे की मृत्यु, प्राथमिक रिपोर्ट के बाद वनविभाग की संभावना

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गड़चिरोली. गड़चिरोली जिले के कमलापुर हाथी कैम्प में 26 फरवरी को मंगला नामक हथनी की प्रसूती के बाद उसके नवजात बच्चे की मृत्यु हो गयी थी. वनकर्मियों द्वारा जंगल में खोजबिन करने पर मृत बच्चे का शव मिला था. इस दौरान वनविभाग ने पोस्टमार्टम की प्राथमिक रिपोर्ट के बाद उक्त हथनी के बच्चे की मृत्यु हर्पिस (एलिफंट एन्डोथेलीवट्रोपिक हर्पिस वायरस) इस बिमारी से मृत्यु होने की संभावना जताई है. विशेषत: इससे पहले 4 बच्चों की इसी बिमारी से मृत्यु  हुई है. 

कमलापुर हाथी कैम्प में नवजात बच्चे की मृत्यु की घटना का वनविभाग ने खुलासा किया है. मंगला नामक मादा हाथी  के गर्भधारण अंत में जनवरी से फरवरी माह में प्रसूती होने का अंदाज था. जिससे पशु वैद्यकीय अधिकारी यह कैम्प में भेट देकर उक्त गर्भवती हथनी पर नजर रखे हुए थे. प्रसूती तक उक्त मादा हाथी में किसी भी तरह के अनुचित लक्षण अथवा बिमारी के लक्षण नहीं थे.

इस दौरान 27 फरवरी को कमलापुर परिक्षेत्र के जंगल में मादा हथनी ने बच्चे को जन्म देने की बात कर्मचारियों के ध्यान में आयी. लेकिन नवजात बच्चा मृत अवस्था में मिला. बताया जा रहा है कि, हथनी प्रसूती के दौरान स्वयं को समूह से अलग कर उसकी नैसर्गिक के रूप में प्रसूती होती है. इससे पहले भी सभी प्रसूती इसी तरह होने की बात वनविभाग ने कही है.

मृत बच्चे के पोस्टमार्टम के बाद प्राथमिक रिपोर्ट से हर्पिस बिमारी होने की संभावना जताई जा रही है. जांच के लिये अवयव के नमूने जमा किये गये व डब्ल्युआरटीसी गोरेवाडा-नागपुर में भिजवाये गये है. वहीं उक्त नमूने वायनाड़ व जबलपुर के प्रयोगशाला में भिजवाये जाएंगे. मंगला हथनी की स्वास्थ्य स्वस्थ्य होकर उसपर नजर रखे जाने की बात वनविभाग ने कही है. 

उक्त विषाणु पर अब तक नहीं बना टीका

इससे पहले आगस्त 2021 में सई नामक मादा व अर्जुन नामक नर हाथी की मृत्यु हर्पिस से होने की बात स्पष्ट हुई थी. मृत्यु के पहले हाथियों में किसी भी तरह का लक्षण नहीं दिखाई देने से आकस्मिक मृत्यु दर्ज की गई थी. हर्पिस वायरस यह विश्व के हाथियों में मृत्यु के कारणों में से एक प्रमुख कारण है. उक्त विषाणु का संक्रमण होने के बाद 8 से 24 घंटों में मृत्यु हो सकती है. यह बिमारी प्रमुखता हाथियों के बच्चों में पाई जाती है. उक्त विषाणु के लिये टिका उपलब्ध नहीं है. इस विषाणु के बचाव के लिये हाथी की नियमित जांच व बिमारी के लक्षण न निगरानी व लक्षण दिखाई देने पर तत्काल उपचार की ही एकमात्र उपाय है. 

वनविभाग ने नहीं बरती लापरवाही

उक्त कैम्प में कायमस्वरूपी अनुभवि पशु वैद्यकीय अधिकारी की मांग की गई है. उक्त घटना के बाद वैद्यकीय सुविधा के साथ ही ठेका तत्व पर पशु अधिकारी नियुक्त करने की प्रक्रिया की जा रही है. वहीं संपूर्ण प्रबंधन अपडेट, वैद्यकीय सुविधा, देखभाल के लिये सहायक वनसंरक्षक स्तर पर समिति गठीत की गई है. उनकी रिपोर्ट नुसार  सुधारना संदर्भ में प्रस्ताव तैयार कर कार्रवाई की जाएगी. वनविभागीय स्तर पर हाथी के देखभाल में किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरती जा रही है. सभी वैद्यकीय सुविधा समय पर उपलब्ध कराई जा रही है. ऐसी जानकारी सिरोंचा वनविभाग की उपवनसंरक्षक पुनत पाटे ने दी है.



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