[ad_1]
पिंपरी : चिंचवड (Chinchwad) में ‘जगताप पैटर्न’ (Jagtap Pattern) की वजह से ही बीजेपी (BJP) की साख तब बची जब राज्य में उपचुनावों और स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के चुनावों में पार्टी पिछड़ती जा रही थी। दिवंगत विधायक लक्ष्मण जगताप के छोटे भाई शंकर जगताप, जो स्व. जगताप के हर चुनाव में पर्दे के पीछे रहकर प्रचार और चुनाव की सारी यंत्रणा संभालते रहे, इस उपचुनाव में भी सटीक योजना बनाकर महाविकास आघाड़ी की कड़ी चुनौती को रोका। लिहाजा इस उपचुनाव में बीजेपी की जीत आसान हो गई और उद्यमी और पूर्व नगरसेवक शंकर जगताप (Shankar Jagtap) पार्टी के लिए ‘संकटमोचक’ साबित हुए।
दिवंगत विधायक लक्ष्मण जगताप का निधन से करीब दो साल पहले से अस्पताल में चल रहा था। इस दौरान चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा आराम करने की सलाह दिए जाने के बाद जगताप निर्वाचन क्षेत्र में नहीं आ सके। इस दौरान बीजेपी के पार्टी वरिष्ठ नेताओं ने चिंचवड विधानसभा के चुनाव प्रभारी की जिम्मेदारी उनके छोटे भाई शंकर जगताप के कंधे पर सौंपी थी। इसके बाद शंकर ने विधानसभा क्षेत्र में मोर्चा बांधना शुरू किया। लक्ष्मण जगताप का निधन 3 जनवरी को हुआ तब पूरे परिवार को संभालने की बड़ी जिम्मेदारी शंकर जगताप पर आ गई।
लक्ष्मण जगताप की मौत के बाद बीजेपी में असंतुष्ट और जगताप विरोधी गुट राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के संपर्क में था। संभावित बड़े विभाजन को ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने सतर्क रुख अपनाया। जगताप विरोधी समूह के विरोध को दबाने और लक्ष्मण जगताप की मृत्यु के एक महीने के भीतर चुनाव लड़ने की बड़ी चुनौती शंकर जगताप के सामने थी। चुनाव की शुरुआत से ही चर्चा थी कि बीजेपी की ओर से उन्ही को उम्मीदवार बनाया जाएगा, उस पर बीजेपी के पार्टी नेताओं की सहमति थी। बाद में उनकी भाभी अश्विनी लक्ष्मण जगताप को नॉमिनेट किया गया। इस चुनाव को निर्विरोध कराने के लिए क्षेत्रीय और स्थानीय नेताओं ने पहल की। मगर महाविकास आघाड़ी पीछे नहीं हटी। तब शंकर जगताप ने बीजेपी के साथ जगताप परिवार की साख बनाए रखते हुए सफलता खींच लाई। जीत के बाद शिवसेना ठाकरे गुट के नेता और सांसद संजय राउत ने एक विचारोत्तेजक बयान दिया कि “चिंचवड में जगताप पैटर्न चलता है… लोगों ने बीजेपी को नहीं बल्कि जगताप परिवार को वोट दिया है”। इसके बाद पूरे महाराष्ट्र में जगताप पैटर्न की चर्चा शुरू हो गई।
यह भी पढ़ें
क्या है जगताप पैटर्न
स्वर्गीय लक्ष्मण जगताप ने लगभग 20 वर्षों तक पिंपरी-चिंचवड शहर में अपने नेतृत्व के करिश्मे को बनाए रखा है। वास्तव में, जगताप ने शहर में बीजेपी की सत्ता प्राप्ति का रास्ता आसान और सुविधाजनक बनाने में एक यह। भूमिका निभाई है। 15 सालों में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और गत पांच साल महानगरपालिका में बीजेपी की सत्ता के दौरान जगताप ने कुछ अपवाद के साथ अपने कई समर्थकों को महत्वपूर्ण पद दिए। क्षेत्र के हर गांव में जगताप के पक्के समर्थक हैं। पार्टी से अलग होने के बाद भी उनके समर्थक उनके ही समर्थक रहे। बीजेपी में जाने के बाद भी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी समेत तमाम राजनीतिक पार्टियों के कई गणमान्य लोग अप्रत्यक्ष रूप से जगताप के लिए काम कर रहे हैं। किए गए विकास कार्यों और वोट बैंक से जगताप को हमेशा लाभ होता है। जगताप साम, दाम, दंड, भेद जैसे तमाम अस्त्र-शस्त्रों का इस्तेमाल कर इस विधानसभा क्षेत्र के निर्विरोध बादशाह बने रहे। उन्हीं की छत्रछाया में उनके भाई शंकर जगताप ने राजनीति के गुर सीखे हैं। पूर्व नगरसेवक के रूप में, उन्होंने पांच साल तक हॉल में काम किया है। इसके साथ ही बेहद शांत, संयत और समान रूप से अध्ययनशील शंकर जगताप एक सफल उद्यमी के रूप में जाने जाते हैं। दिवंगत विधायक लक्ष्मण जगताप के चुनाव की यंत्रणा की ‘रीढ़ की हड्डी’ के रूप में, निर्वाचन क्षेत्र के सूक्ष्म नियोजन में उनका अप्रत्यक्ष और निर्णायक हस्तक्षेप रहा है। यही अनुभव शंकर जगताप के काम आया और निर्णायक बहुमत हासिल करने में सफल रहे। नतीजन उनकी भाभी अश्विनी जगताप 36 हजार से ज्यादा वोटों से जीत गई हैं।
ऐसे ध्वस्त हुआ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का गढ़
चिंचवड विधानसभा में महानगरपालिका के कुल 13 वार्डों में शंकर जगताप ने अपनी स्वतंत्र यंत्रणा सक्रिय रखी। दरअसल, नवी सांगवी, जूनी सांगवी, पिंपल गुरव का इलाका जगताप के प्रभाव क्षेत्र बना रहा। रावेत, किवले, मामुर्डी, वाकड, पुनावले, वल्हेकरवाड़ी के साथ थेरगांव, रहाटनी में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का प्रभाव बड़ा है। शंकर जगताप और उनकी टीम इस इलाके से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के बहुमत को रोकने में सफल रही। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नगरसेवक अश्विनी जगताप को रावेत, किवले मामुर्दी इलाके में सबसे ज्यादा 11 हजार 637 वोट मिले हैं। बीजेपी ने इस इलाके से मतगणना में अंत तक अपनी बढ़त बनाए रखी। दावा किया गया था कि पिंपले नीलख, वाकड, वेणु नगर, कस्पटे बस्ती, विशालनगर इलाकों में महाविकास आघाड़ी को सबसे ज्यादा वोट मिलेंगे। हालांकि यहां सबसे ज्यादा 11 हजार 475 वोट बीजेपी को मिले हैं। महाविकास आघाड़ी के प्रत्याशी विठ्ठल उर्फ नाना काटे के प्रभाव वाले क्षेत्र रहाटनी, कालेवाड़ी और पिंपले सौदागर को छोड़कर जिन इलाकों में पिछले पांच साल में एनसीपी के पार्षद रहे हैं, वहां बीजेपी की जीत हुई है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी बहुल इलाकों में एक-एक कर वोट बटोरने के लिए शंकर जगताप ने बीजेपी के अलाव अपनी स्वतंत्र यंत्रणा खड़ी की थी। इसके चलते एनसीपी का गढ़ ढह गया और इसका फायदा बीजेपी प्रत्याशी अश्विनी जगताप को मिला।
[ad_2]
Source link
Leave a Reply