देवास सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लि. के सीईओ, सीओओ एवं विश्वास ट्रांसपोर्ट सर्विस प्रालि देवास के डायरेक्टर पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत एफआईआर दर्ज

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देवास। पुलिस अधीक्षक विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त उज्जैन संभाग अनिल विश्वकर्मा को 10 जनवरी 2023 को शिकायत प्राप्त हुई थी, कि नगर निगम देवास के माध्यम से यात्री बसों के टेंडर अमृत योजना के अंतर्गत निकाले गए थे तथा इसमें शासन की ओर से 40 प्रतिशत तक सब्सिडी का प्रावधान था। नगर निगम देवास द्वारा विश्वास ट्रांसपोर्ट प्रालि के यात्री बसों का टेंडर स्वीकृत कर टेंडर के निर्धारित मार्गों पर संचालन हेतु अनुमति दी गई थी, परंतु विश्वास ट्रांसपोर्ट प्रालि द्वारा अधिकारियों के साथ मिलकर टेंडर में स्वीकृत मार्ग से भिन्न मार्गों पर यात्री बसों का संचालन किया जाने लगा तथा कुछ बसों का विक्रय भी कर दिया गया। उक्त शिकायत जांच एवं सत्यापन हेतु उप पुलिस अधीक्षक सुनीलकुमार तालान को सौंपी गई।

जांच के सत्यापन में पाया गया कि देवास सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लि. द्वारा आरएफपी के अनुसार टेंडर जारी किए गए थे। इस टेंडर में क्लस्टर 2, 3 एवं 4 पर बसों के संचालन हेतु निविदाएं मांगी गई थी। उक्त तीनों क्लस्टर की निविदाएं विश्वास ट्रांसपोर्ट को प्राप्त हुई तथा कुल 39 बसों का संचालन 7 वर्ष हेतु इसके अंतर्गत किया जाना था। विश्वास ट्रांसपोर्ट को इसके लिए बसें क्रय करने पर कुल लागत की 34.2 प्रतिशत से 39.78 प्रतिशत तक बीजीएफ (सब्सिडी) प्राप्त हुई। विश्वास ट्रांसपोर्ट द्वारा वर्ष 2022 में 3 बसें विक्रय कर दी गई, परंतु उनके स्थान पर 1 वर्ष से भी अधिक समय बीतने पर भी अन्य तीन बसें क्रय कर नहीं लगाई गई। अनेक बसों का मार्ग परिवर्तन सीईओ एवं सीओओ से अनुमति लेकर बदल दिया गया, जबकि वे अनुमति देने हेतु सक्षम नहीं थे।

उल्लेखनीय है कि इस टेंडर के बदले देवास सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लि. को वार्षिक प्रीमियम शून्य रुपए प्राप्त हो रही है। बसों हेतु मासिक पास भी जारी नहीं किए गए। बसों पर विज्ञापन का टेंडर भी जारी नहीं किया गया, जिससे नगर निगम की कंपनी को आय हो सकती थी। स्पेअर बस को पिकनीक/टूर आदि का परमिट लेकर चलाया गया जो अनुमत्य नहीं था। क्लस्टरों की अधिकांश बसों के रूट में परिवर्तन की अनुमति दे दी गई, जिससे वे व्यस्त रूटों पर बसों का संचालन करने लगे। कुछ बसों पर अनुमति के बिना दूसरे ऑपरेटर का नाम लेख करा दिया गया तथा शासन की योजना से संबंधित चिन्ह भी हटा दिए गए जो अनुमत्य नहीं थे।

इस प्रकार 3 बसों के विक्रय पर उन पर दी गई सब्सिडी 23.86,800 /- रुपए का दुरुपयोग विगत 1 वर्ष से किया जा रहा है। ऑपरेटर द्वारा बताया गया कि बैंक में सिबिल खराब होने से उसे लोन प्राप्त नहीं हो रहा है, जिससे वह बसें क्रय नहीं कर पा रहा है। इस प्रकार उपरोक्त प्रकरण में देवास सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लि. के सीईओ प्रदीप सोनी, सीओओ सूर्यप्रकाश तिवारी तथा विश्वास ट्रांसपोर्ट के डायरेक्टर विजय गोस्वामी एवं प्रणय गोस्वामी द्वारा शासकीय धनराशि की क्षति शासन को पहुंचाई गई तथा पद का दुरुपयोग कर टेंडर का संचालन उचित प्रकार से नहीं किया एवं शर्तों का घोर उल्लंघन किया। इन सभी चारों के विरूद्ध धारा 7 13 (1) ए. 13 (2) भ्र. नि. अधि 1988 (संशोधन 2018 ) एवं भा.दं.वि. की धारा 409, 420 एवं 120 बी के अंतर्गत लोकायुक्त प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया है।

इस विषय पर एसडीएम प्रदीप सोनी का कहना है कि किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया गया है। यह जो पॉइंट उन्होंने प्रेसनोट में बताए हैं, वह सरासर गलत है। सारी चीजें नियम के अनुसार ही की गई है और इसमें बोर्ड की मीटिंग में लिए गए निर्णय पर ही कार्य किया गया है। किसी भी व्यक्ति को लाभ पहुंचाने का सवाल ही नहीं उठता है। लोकायुक्त द्वारा जो प्रश्न किए जाएंगे, उन सभी के उत्तर हमारे पास मौजूद हैं। हम सारे सवालों के जवाब देने के लिए तैयार हैं।

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