भगवान अपने भक्त पर कृपा करते हैं तो भक्ति के साथ अपार धन देते हैं
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भागवत कथा की पूर्णाहुति पर पं. अंबाराम राजगुरु ने दिए प्रेरणादायी संदेश
बेहरी। मित्रता में स्वार्थ आड़े नहीं आने देना चाहिए। मित्र तो वह है जो सुख-दुख में बगैर किसी स्वार्थ के सहयोग करें। आज भी जब मित्रता के बारे में कोई चर्चा करता है तो भगवान श्रीकृष्ण-सुदामा की मित्रता का उदाहरण दिया जाता है। पंडितजी ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपने बाल सखा को बगैर मांगे ही सबकुछ दे दिया। भगवान जब अपने भक्त पर कृपा करते हैं तो उसे भक्ति के साथ-साथ अपार धन भी देते हैं। आप जब भी भगवान से मांगों तो उनसे भक्ति ही मांगना।
यह विचार पाटीदार धर्मशाला बेहरी में श्रीमद भागवत कथा की पूर्णाहुति के अवसर पर श्रीकृष्ण-सुदामा मित्रता का प्रसंग सुनाते हुए पं. अंबाराम राजगरु ने कही। उन्होंने कहा कि भागवत कथा मनुष्य को तारणे का कार्य करती है। कथा श्रवण करते हुए उसका मनन करते रहे। कथा आपको ज्ञान देगी और ज्ञान आपको परमात्मा के निकट ले जाएगा। कथा हमें सीखाती है कि मनुष्य जीवन बड़े भाग्य से मिला है तो इसे यूं ही व्यर्थ न गवाएं। पंडितजी ने कहा यहां सात दिन तक भक्ति की गंगा बही है और आप सभी ने इसमें स्नान किया है। निश्चित तौर पर यह पुण्य कार्य आपका कल्याण करेगा। सोमवार को कथा की पूर्णाहुति पर श्रद्धालुओं ने कलश यात्रा निकाली। इसमें महिलाएं जल कलश लेकर शामिल हुई। भक्तों ने कलश यात्रा में उत्साह के साथ नृत्य किया। कलश यात्रा के कथा पंडाल में पहुंचने के बाद कथा वाचन का समापन हुआ।
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विगत सात दिनों तक भगवान श्रीकृष्ण की विभिन्न लीलाओं का वर्णन पंडितजी ने किया। भगवान श्रीकृष्ण के भजनों पर उपस्थित श्रद्धालुओं ने नृत्य किया और जय-जयकारे लगाए। सात दिवसीय संगीतमय भागवत कथा का आनंद उठाने के लिए आसपास के गांव के अलावा बेहरी की धर्मप्रेमी जनता उपस्थित रही। कथा समापन के बाद भागवत कथा पौथी की पूजा सूरजमल ने की। नगर भ्रमण कर खेड़ापति हनुमान मंदिर पर विसर्जन हुआ। कन्या भोजन के साथ भंडारा हुआ। इसमें सभी श्रद्धालुओं ने महाप्रसाद ग्रहण किया। जुगल पाटीदार, मांगीलाल पाटीदार, हरिनारायण पाटीदार, पवन पाटीदार, श्रीराम पाटीदार, भोजराज पाटीदार, आत्माराम पाटीदार आदि ने आभार माना।