धर्म-अध्यात्म

मंदिर जाकर पत्थर भगवान बन जाता है, लेकिन मानव, मानव नहीं बन पाता- पं. अजय शास्त्री

देवास। सुख, दुख, रोग द्वेष सब शरीर से है। आत्मा से तो बस परमात्मा ही है। राजा परीक्षित ने कथा सुनकर अपना श्राप दूर कर लिया। एक पत्थर मंदिर जाकर परमात्मा बन जाता है, लेकिन बडी विडंबना है कि मानव रोज मंदिर जाकर भी मानव नहीं बन पाता।

यह विचार भोपाल रोड स्थित आंवलिया पिपलिया में 17 मई तक आयोजित की जा रही श्रीमद् भागवत कथा में व्यासपीठ से पं. अजय शास्त्री सिया वाले ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा व्यक्ति मंदिर तो प्रतिदिन जाता है, लेकिन वह सिर्फ तन से ही झुकता है, श्रद्धा भाव से नहीं झुकता। परमात्मा को धन-दौलत नहीं चाहिए सिर्फ भाव होना चाहिए। मंदिर में जाकर प्रभु भक्ति चिंतन करों। चिंतन करने से, कथा सुनने से धुंधकारी प्रेतत्व से छुटकर देवत्व को प्राप्त हो गया। ये कथा सुनने का फल है तो कथा करवाने का फल क्या मिलता है, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है।

pt ajay shastri

कथा शुभारंभ के पूर्व ग्राम के प्रमुख चौराहों से बैंडबाजों, बग्घी के साथ कलश यात्रा निकाली गई। सैकड़ों महिलाएं सिर पर कलश धारण कर कलश यात्रा में शामिल हुईं। धर्मप्रेमियों ने उत्साहपूर्वक जगह-जगह कलश यात्रा का पुष्पवर्षा कर स्वागत किया। कथा के मुख्य यजमान बाबूलाल शर्मा, संजय शास्त्री, अनिल सर ने व्यासपीठ की पूजा-अर्चना कर महाआरती की। कथा प्रतिदिन दोपहर 1 बजे से शाम 4 बजे तक होगी। सैकड़ों धर्म प्रेमियों ने कथा श्रवण कर धर्म लाभ लिया।

Advertisement

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button